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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिलों के दौरे और पंचायतों में की गई घोषणाओं पर अमल को लेकर सख्त हो गए हैं। उन्होंने अफसरों से दो टूक कहा है कि घोषणा पर अमल के लिए 6 माह का वक्त नहीं मिलेगा। अधिकारी इसे ध्यान में रखें और घोषणा होते ही उस पर अमल के लिए काम शुरू करें। सीएम ने कहा कि वे कभी भी घोषणाओं की रिपोर्ट मांग सकते हैं। सीएम के निर्देश के बाद अब विभाग प्रमुख नई घोषणाओं की अपडेट रिपोर्ट संबंधित अफसरों से मंगाने की तैयारी में जुट गए हैं।
सीएम शिवराज ने ये निर्देश दो दिन पहले की गई समीक्षा के दौरान दिए हैं। दरअसल सीएम ने समीक्षा के दौरान जब हाल में की गई कुछ घोषणाओं पर अमल की रिपोर्ट मांगी तो अफसरों ने कहा था कि घोषणा हुए कुछ महीने ही हुए हैं। आमतौर पर क्रियान्वयन में 6 माह का समय लग जाता है। इस पर सीएम ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि 6 माह का समय अधिक होता है। अधिकारी 3 माह का समय टारगेट मानकर चलें। इस अवधि में हर घोषणा का कुछ न कुछ अपडेट होना चाहिए। सीएम चौहान ने बैठक में साफ कहा था कि जिलों में की गई घोषणा की रिपोर्ट एक सप्ताह में मंगाकर उसका क्रियान्वयन तय करना मंत्रालय में बैठे अफसरों की जिम्मेदारी है, चाहे पीएस हों, एसीएस हों या विभागाध्यक्ष हों, यह ध्यान रखें कि मैं कभी भी किसी घोषणा की जानकारी मांग सकता हूं। उसमें मुझे कोई न कोई वर्किंग एक्शन हर हाल में चाहिए।
सूत्रों की मानें तो सीएम ने 2008 से 2013 और 2013 से अब तक के सरकार के कार्यकाल में करीब 6 हजार घोषणाएं की हैं। पहले पांच सालों की 10 फीसदी घोषणाओं पर अभी भी अमल होना बाकी है, जबकि 2013 के बाद हुई घोषणाओं पर 50 प्रतिशत की पेंडेंसी बताई जा रही है।
सीएम ने मीटिंग में बड़वानी जिले में अनुसूचित जाति राज्य स्तरीय सम्मेलन में की गई घोषणा का प्रस्ताव बदले जाने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि स्कूल खोलने की घोषणा को खेल मैदान के प्रस्ताव में बदला गया। साथ ही लिफ्ट इरीगेशन की घोषणा का स्वरूप बदलने पर भी सीएम नाराज हुए थे। इसके लिए सीएम सचिवालय के अफसरों की खिंचाई सीएम ने की थी। सीएम के इन निदेर्शों के बाद अब सचिवालय के अफसर उनके दौरे के साथ रहने पर खुद एक-एक घोषणा की रिपोर्ट बनाएंगे ताकि अमल का काम तेजी से हो सके और घोषणा का असली मजमून समझने में गड़बड़ी न हो।
प्रदेश में दो विधानसभा उपचुनाव जल्द होने वाले हैं। ये विधानसभा अटेर और बांधवगढ़ हैं। अटेर विधानसभा नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के निधन के बाद रिक्त हुआ है वहीं बांधवगढ़ से मंत्री ज्ञान सिंह विधायक रहे हैं जिन्होंने शहडोल उपचुनाव में सांसद निर्वाचित होने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के पहले सीएम शिवराज के दौरे होंगे। ऐसे में चालू बजट सत्र में ही सीएम की घोषणाओं का ग्राफ बढ़ना तय है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने तीन माह की टाइमलाइन इसलिए भी रखी है ताकि उपचुनाव के पहले क्षेत्र के लोगों को घोषणाओं पर अमल की जानकारी मिल जाए। शहडोल संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान भी ऐसी ही स्थिति बनी थी और सीएम हर घोषणा की खुद मानीटरिंग कर रहे थे।
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