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अब मध्यप्रदेश की राजनीती जगलों पर चली गई है.बुरहानपुर में बीते दिनों वन माफियाओं ने थाने पर हमला कर दिया था। इसके बाद वन अमले और कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे थे। अब कांग्रेस ने प्रदेश में हो रही जंगलों और लकड़ी की कटाई को लेकर वन मंत्री विजय शाह का माफियाओं से गठजोड़ बताया है। भोपाल में पीसीसी में कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा- हजारों पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर में जनहित याचिका पर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने टिप्पणी की थी कि यदि यही हाल रहे तो प्रदेश रेगिस्तान बन जाएगा।केके मिश्रा ने कहा माफियाओं का गठजोड़ मप्र में कानून और मुख्यमंत्री द्वारा रोज किए जाने वाले पौधारोपण को नष्ट कर रहा है। नियमों के मुताबिक जिलों में ट्री ऑफिसर नियुक्त किए गए हैं। किसी कारण से पेड़ काटने की जरूरत पड़ती है तो ट्री ऑफिसर परमिशन देते हैं। लेकिन बिना ट्री ऑफिसर की अनुमति के फॉरेस्ट माफिया हजारों पेड़ रोज काट रहे हैं। इन माफियाओं से वन मंत्री विजय शाह का सीधा तालमेल है।वन मंत्री को बताना पड़ेगा कि पिछले महीने बुरहानपुर में जंगल काट दिए गए। छह महीने में वहां तीन डीएफओ नियुक्त किए गए। तीसरे डीएफओ के रुप में जो अनुपम शर्मा वहां पदस्थ किए गए थे उन्हें दो महीने में हटा दिया गया। मेरे पास पूरी जानकारी है कि उन्होंने विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा था कि मैं वन माफियाओं पर कार्रवाई करना चाहता हूं लेकिन वहां के कलेक्टर और एसपी सहयोग नहीं कर रहे हैं। केके मिश्रा ने कहा सरकार के संरक्षण में वन माफियाओं, भाजपा समर्थित टिम्बर व्यापारियों, वन विभाग के अधिकारियों, राजनेताओं और पुलिस के गठजोड़ से बेखौफ होकर प्रदेश के व्यावसायिक राजधानी इंदौर सहित कई जिलों में वनों की अंधाधुंध अवैध कटाई का गंभीर आरोप लगाया।मिश्रा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछले 12 सालों में 207 किलोमीटर जंगल क्षेत्र कम हो गया है, यानि करीब इन 10-12 सालों में जंगल कितनी तेजी से घटे है। साल 2009-10 में मध्यप्रदेश में अति सघन, सघन और खुला वन क्षेत्र 77,700 वर्ग किलो मीटर था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 77,493 वर्ग किलोमीटर रह गया है। जबकि पिछले चार वर्षों में प्रदेश सरकार ने सिर्फ और सिर्फ पौधारोपण के नाम पर 1510 करोड़ रूपये और इन पौधों के रख रखाव, संधारण पर करीब 90 करोड़ रूपये खर्च किए हैं। इतना पैसा फूंकने के बाद जंगलों में यदि हरियाली आई है तो क्या इन माफियाओं के हित में? मिश्रा ने यह भी कहा कि 1,19,401 हैक्टर वन भूमि को वर्ष दूसरे कामों में उपयोग कर लिया गया।
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