गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश सरकार भी एक साथ चुनाव कराने के पक्षधर हैं और लगातार हर मंच से इस मांग को उठा रहे है। मुख्यमंत्री सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर विचार शुरू हो गया है। इसके व्यावहारिक पक्ष को देखा जा रहा है। सरकार भी इस पक्ष में है कि एक साथ चुनाव की शुरुआत मध्यप्रदेश से ही हो निर्वाचन आयोग के अफसरों ने बताया कि पिछले साल नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव दो-तीन चरणों में कराए गए इसके बाद भी सात निकायों के चुनाव अलग से कराने पड़े। आरक्षित क्षेत्र के 45-46 निकायों में तो अलग से चुनाव काफी समय से कराए जा रहे हैं। अनूपपुर जिला पंचायत का चुनाव भी हाल ही में हुआ है। इसके अलावा हर छह माह में पंचायत और निकायों के आम व खाली पदों के चुनाव कराए जाते हैं। इस तरह न सिर्फ अधिक पैसा खर्च होता है, बल्कि पूरे इंतजाम बार-बार करने पड़ते हैं। आचार संहिता प्रभावी होने के कारण विकास से जुड़े व अन्य कामकाज थम जाते हैं। निर्वाचन आयुक्त आर. परशुराम का कहना है कि हमने एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है अब इस पर सरकार को निर्णय करना है इसके बाद अधिनियम और नियमों में बदलाव होगा।
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