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मप्र में अगले छह महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में कुछ मौजूदा माननीय यानि विधायक अपने दल की परवाह किए बिना बगावत की राह पर चल रहे हैं। अपनी पार्टी के खिलाफ खुलकर खिलाफत करने के बावजूद इन विधायकों के खिलाफ उनकी पार्टी एक्शन लेने में ड़र रही है। बीजेपी, कांग्रेस और सपा, बसपा चारों दल विधायकों के खिलाफ एक्शन नहीं ले पा रहे हैं।बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते नारायण त्रिपाठी पिछले एक साल से बगावती मूड में चल रहे थे। पिछले हफ्ते उन्होंने अलग पार्टी बनाकर विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। नारायण त्रिपाठी के खुलकर बगावत करने के ऐलान करने के बाद भी बीजेपी अब तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले पा रही है। नारायण की पार्टी के नाम का अगले महीने में औपचारिक ऐलान हो जाएगा। त्रिपाठी के अलग चुनाव लड़ने से कांग्रेस अंदरखाने खुश हो रही है। क्योंकि त्रिपाठी के चुनाव लड़ने से विंध्य क्षेत्र में बीजेपी के वोटों का तेजी से बंटवारा होगा और कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा। अपने ही विधायक के इस कदम से बीजेपी को नुकसान होना तय है लेकिन पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।आदिवासी संगठन जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस के टिकट पर धार जिले की मनावर से विधायक बने डॉ. हीरालाल अलावा इस बार आदिवासी सीटों पर जयस के सक्रिय कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ाने का ऐलान कर चुके हैं। अलावा 26 अप्रैल को भोपाल में कई छोटे-छोटे दलों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति तैयार करेंगे। कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद डॉ.हीरालाल अलावा पार्टी से हटकर अलग चुनाव लड़ेंगे और उम्मीदवार उतारेंगे। अलावा के इस कदम से कांग्रेस को आदिवासी क्षेत्रों में नुकसान होगा तो वहीं बीजेपी को आदिवासी क्षेत्रों में बड़ा फायदा होगा। अलावा लंबे समय से कांग्रेस से अलग चुनाव लड़ने और उम्मीदवार उतारने की बात कह चुके हैं। इसके बावजूद पार्टी ने अब तक कोई एक्शन नहीं लिया।
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