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रंगपंचमी पर इंदौर में निकाली जाने वाली ‘गेर’ और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी नर्मदा परिक्रमा यूनेस्को इंटैन्जिबल लिस्ट का हिस्सा बनने की दौड़ में है। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ने इनसे जुड़े प्रस्ताव केंद्रीय संस्कृति विभाग को भेजे हैं। 74 साल पुरानी गेर की परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए प्रशासन कई वर्षों से प्रयास कर रहा है। पुराने दस्तावेज के साथ इस साल के फोटो और वीडियो भी भेजे गए हैं।इनके अलावा मैहर के 106 साल पुराने बैंड, फसलों से जुड़े पारम्परिक जनजातीय गीत और गोंड पेंटिंग के प्रस्ताव भी इस ग्लोबल लिस्ट में शामिल करने के लिए भेजे गए हैं। मैहर बैंड की स्थापना राजा बृजनाथ सिंह के आदेश पर 1917 में हुई थी। इसमें शामिल अनाथ बच्चों को उस्ताद अलाउद्दीन खां रोज चार घंटे बैंड सिखाते है। सभी राज्य अपने प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संगीत नाटक अकादमी को भेजते हैं। अकादमी द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी इनमें से एक प्रस्ताव पर मुहर लगाती है। पिछले साल गरबा को चुना गया था।हर साल होने वाले गेर के आयोजन में लाखों लोग राजबाड़ा पर इकट्ठे होते हैं। इन पर मशीनों से गुलाल-रंग फेंका जाता है। होली के बाद होने वाले इस आयोजन को देखने देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं।नर्मदा परिक्रमा का धार्मिक-आध्यात्मिक महत्त्व है। लगभग 2600 किमी की पूरी यात्रा मप्र में नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू होकर गुजरात के भरुच से अमरकंटक पर खत्म होती है। 3-4 माह में पैदल परिक्रमा पूरी होती है।
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