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रूकमणी मंगल में मुख्यमंत्री ने निभाई विवाह की रस्में
mradul krishna ji shastri

 

 
अलौकिक विवाह के साक्षी बने 75 हजार श्रोता
कोलार में श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य मृदुलकृष्ण महाराज ने ‘रूकमणी मंगल’ की अलौकिक कथा का वर्णन किया। उन्होने कहा कि यह अलौकिक कथा जो श्रवण करता है उनके घर की बहन-बेटियोें के विवाह में आने वाली सारी बाधाएं दूर होती हैं। कथा में रूकमणी मंगल के प्रसंग के दौरान दिव्य झांकी भी प्रस्तुत की गई। आचार्यश्री ने मंत्रोच्चारण के साथ ‘रूकमणी-कृष्ण’ का विवाह सम्पन्न कराया। कथा मंच पर सम्पन्न हुए इस विवाह में विवाह की रस्में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान एवं श्रीमती साधना सिंह चैहान द्वारा निभाई गई।
महारास, रूकमणी मंगल की झांकियों पर भावविव्हल हुए श्रोता
गुरूवार की कथा के दौरान महारास और रूकमणी मंगल की जीवंत झांकियां प्रस्तुत की गई। इप झांकियों के दर्शन कर और कथा में तत्संबंधी प्रसंग सुन श्रोता भाव विव्हल हो उठे। मृदुलजी द्वारा झांकियों के साथ अपने प्रख्यात भजन ‘‘तेरी बंशी पर जाउं बलिहार रसिया...’’ , ‘‘मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो...’’, ‘‘आओ मनमोहना...आओ नंदनंदना...गोपियों के प्राणधन राधाजी के रमणा’’, ‘‘राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी....’’ प्रस्तुत किए। भजनों की स्वरलहरियों पर कथा पंडाल में बैठे श्रोता पूरे समय भक्ति की मस्ती में भरकर थिरकते रहे।
जो जीव को परमात्मा से मिला दे वही ‘महारास’ है: मृदुलकृष्ण जी
आचार्यश्री मृदुलकृष्णजी महाराज ने ‘रास’ और ‘महारास’ कथा का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि ‘रास’ शब्द ‘रस’ से बना है। जहां एक रस अनेक रसों के रूप में प्रकट हुआ हो उसे कहते हैं महारास। जो हमें भगवान में लीन कर उसे कहते हैं लीला। भगवान को प्राप्त करने के लिए तीन मार्ग है, योग, ज्ञान और भक्ति। योगियों में चित्त की प्रधानता होती है। भक्ति में आनंद की प्रधानता होती है। शब्द सद् रूप है वृंदावन है। वृंदावन का चार कोस का क्षेत्र कभी नष्ट नहीं होगा, वह शाश्वत है। ज्ञान रूप हैं स्वयं भगवान कृष्ण और आनंद रूप हैं बृज की गोपियां। गोपियां कोई नारी नहीं है, यह पुरूष भी हो सकता है, स्त्री भी हो सकती है, क्योंकि एक भाव है। जो दसोें इंद्रियों से परमात्मा श्रीकृष्ण के रस का रस्सास्वादन करे वह गोपी हो जाता है। रासलीला कामलीला नहीं है, यह काम पर विजय प्राप्त करने की लीला है ‘‘महारास’’। रास अर्थात परमात्मा का अहसास होना ही ‘‘रास’’ है। आप कथा सुन रहें हैं और कथा सुनते-सुनते आपको यह अहसास होने लगे कि मेरे पास मेरे प्रभु बैठे हैं, मेरे सामने मेरा बांकेबिहारी खड़ा तो समझना कि आप ‘‘रास’’ में पहुंच गए। जो जीव को परमात्मा से मिला दे वही तो ‘‘महारास’’ है।
भगवान को पसंद नहीं भक्त में ‘‘अभिमान’’
आचार्यश्री मृदुलकृष्ण जी महाराज ने छटवें दिन की कथा में इंद्र के अभिमान भंग की लीला की कथा सुनाते हुए कहा कि इंद्र का अभिमान भंग करने के लिए प्रभु ने गोवर्धन पर्वत उठाने की लीला की। यह भगवान का अनुग्रह है क्योंकि भगवान अपने भक्त के अंदर कोई चीज अगर ना पसंद करते हैं तो केवल, केवल और केवल अंहकार ही है। अभिमान विकलांग होता है,पंगु होता है। जब तक अभिमान को दो बैसाखी नहीं मिलती ‘‘मै’’ और ‘‘मेरा’’ तब तक वह नहीं आता। इन दो बैसाखियों पर ही अभिमान चलता है। जो व्यक्ति संसार में महान बने वह विनम्र हो। जिस व्यक्ति में विनम्रता आती है वही महान होता है। महानता और विनम्रता के बीच कोई दीवार नहीं है। जो महान होता है वह विनम्र होता ही है।
पंच महाभूत जिसके वश में है वह ‘‘भगवान’’ है
भगवान शब्द में पांच अक्षर है, जो कि पंच माहभूतों की ओर संकेत करते हैं। संसार भी पंच महाभूतों पृथ्वी, आकाश, जल, वायु और अग्नि से ही बना है। यह पंच महाभूत जिसके वश में हो उसे भगवान कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने तो अपनी लीला में ही इन पंच महाभूतों को वश में कर के दिखा दिया।
 
शिवराज जी की प्रशंसा अमेरिका में भी सुनी: मृदुल जी
गुरूवार को कथा सुनने सपित्नक पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की आचार्य मृदुलकृष्ण ने व्यासपीठ से मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होने कहा कि आपके प्रयासों से मध्यप्रदेश अब भव्यप्रदेश बन जाएगा। आप केवल मध्यप्रदेश में ही प्रशंसनीय नहीं है, अपितु जब मैं अमेरिका के लाॅस एंजिल्स में कथा करने गया था तब वहां भी मैने आपकी प्रशंसा सुनी थी। आपने प्रदेश मंे बेटी को लाडली कहकर पुकारा है, बड़ा सुंदर काम किया है। लाडली राधारानी जी का ही एक नाम है। बृजभूमि में लाडली राधारानी जी को ही कहा जाता है। मुझे पता चला है कि आप मध्यप्रदेश मे चार लाख से अधिक कन्याओं का विवाह सरकार के द्वारा करवा चुके हैं। मुझे एक बात की ओर खुशी हो रही है कि आपके द्वारा बुजुर्गों को तीर्थदर्शन कराने के लिए योजना शुरू की गई है। आचार्यश्री ने कहा कि यह वाकई प्रशंसनीय कार्य है, यथा राजा, तथा प्रजा। मुझे आपकी नर्मदा सेवा यात्रा के बारे में भी पता चला है यह पवित्र कार्य है।
जनता के जीवन में आनंद चाहता हूॅं: शिवराज सिंह चैहान
कहा-यूॅं ही आगे बढ़ते रहे विधायक रामेश्वर
चूना भट्टी-कोलार-मंडीदीप फोरलेन रोड की घोषणा
आत्मा के मोक्ष जगत के हित के लिए जिन्होने यह शरीर धारण किया है, जो हमें कथा सुना रहे हैं ऐसे श्रेष्ठ संत को मैं प्रणाम करता हूूं। रामेश्वर शर्मा जिनके कारण हमें यह सौभाग्य मिला है, मैं उन्हें बधाई देता हूॅं कामना करता हूॅं कि वे सदैव आगे बढ़ते रहे। मैं अपनी जनता के कल्याण की कामना करता हूॅं। महाराज जी ने आज जिस आनंद की कामना की है यही आनंद तो मैं अपनी जनता के जीवन में चाहता हूॅं, इसीलिए हमने आनंद विभाग भी बनाया है। यह विचार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने गुरूवार को कथा पंडाल में उपस्थित श्रोताओं को कथा मंच से संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि मैं यह कथा सुनकर धन्य हो गया हूॅं। मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है परमात्मा की प्राप्ति। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए तीन मार्ग है ‘ज्ञान मार्ग’, ‘भक्ति मार्ग’ और ‘कर्म मार्ग’। कथा मेें जो सुधबुध खोकर नृत्य कर रहे थे यह भक्ति मार्ग है, हनुमानजी भी भक्ति मार्ग का उदाहरण हैं। हनुमानजी ने अपना सीना चीर कर दिखाया था। तीसरा है ‘‘कर्म मार्ग’’ । इसके अनुसार जो भगवान ने हमारा काम तय किया है उसे सही ढंग से कर ले। कर्म मार्ग के कारण कर्मश्री रामेश्वर शर्मा सदैव कोलार के विकास की बात करते हैं। मैं विश्वास दिलाता हूॅं कि यहां हर काम होगा, कोई समस्या नहीं रहेगी। विधायक रामेश्वर शर्मा के आग्रह पर उन्होने चूना भट्टी-कोलार-मंडीदीप फोरलेन रोड बनवाने की घोषणा भी की। उन्होने आगे कहा कि मैं एक आग्रह करने भी आया हूॅं कि नर्मदा मैया जिसने हमें सब कुछ दिया है, उसे सुरक्षित रखने का संकल्प लें। कृष्ण जी प्रकृति को पूजते थे, गोवर्धन उठाया, पेड़ बचाएं, गाय पालते थे, यमुनाजी को कालिया नाग से मुक्ति दिलाई थी। आज हमने भी संकल्प लिया है कि नर्मदा मैया को प्रदूषण से मुक्ति दिलाएंगे। नर्मदाजी में गिरने वाली सीवर लाईन को हटाया जाएगा। विर्सजन कुंड बनेंगे मैं संकल्प दिलवा रहा हूॅं कि नर्मदा किनारे कोई शराब नहीं पिएगा। आज मैं यहां आया हूॅं तो आप मेरे साथ आप भी संकल्प लें कि बेटी बचाएंगे, नर्मदा जी को स्वच्छ करेंगे, नशे से दूर रहेंगे। बेटियों की महिमा अनंत हैं, बेटी बचे, बेटी बढ़े, बेटी पढ़े। आप संकल्प ले कि अगले सावन के महीने में एक राखी भाई को तो बांधेगे साथ ही एक राखी पेड़ को भी बांधेगें। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने इस अवसर पर 75 हजार श्रोताओं को हाथ उठाकर उक्त संकल्प दिलाए।
भगवान भक्त से केवल मन की अपेक्षा करते हैं: मृदुल जी
भगवान भक्त से कभी धन की अपेक्षा नहीं करते, वह भक्त से कहते हैं कि तू केवल मुझे अपना मन दे दे। यह शरणागत का लक्षण है। भगवान अपनी आज्ञा को संतजनों के मुख से कहलवाते हैं। श्रीमद्भागवत भी भगवान की आज्ञा है। हमें शास्त्रों के अनुसार चलना चाहिए। सभी के जीवन में दुख आते हैं लेकिन भगवान अपने भक्तों को दुख सहने की शक्ति भी प्रदान करते हैं। वह उसे टूटने नहीं देते। भगवान इंद्र को दंड भी दे सकते थे लेकिन भगवान अपनी लीला के माध्यम से इंद्र को भी सही राह पर लाना चाहते थे। इंद्र का अभिमान भंग करने के लिए भगवान ने अपनी उंगली पर एक सप्ताह तक गोवर्धन पर्वत को धारण कर बृजवासियों की रक्षा की थी। इंद्र का अभिमान भंग होने पर इंद्र ने ‘‘भगवान’’ को गोविंद नाम दिया है।
कंस का वध हुआ तो मथुरा का हर व्यक्ति ताली बजा रहा था
आचार्यश्री ने श्रीमद्भागवत में कंस वध का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान ने जब कंस का वध किया तो मथुरा में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसने ताली नहीं बजाई हो। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए कि मृत्यु के समय कोई खुश हो अपितु ऐसे कर्म करने चाहिए कि जब मरें तो शत्रु की आंख में भी आंसु आ जाए। आचार्यश्री ने कहा कि पंच शरीर तो किसी ना किसी दिन मरने वाला ही है लेकिन यश शरीर कभी मरता नहीं है। हमसे ऐसे कार्य होना चाहिए जो कि हमारे मरने के बाद भी सभी को याद रहे। हमारा यश शरीर जीवित रहे।
मंदिर मंे भगवान के प्रत्येक अंग के दर्शन करें
आचार्यश्री ने महारास में गोपियों के मन में भगवान के दर्शन की ललक का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का दर्शन ही सर्वोपरी होता है। दर्शन करने का मतलब केवल मंदिर में जाना ही नहीं होता, हम मंदिर में जाएं तो भगवान के एक-एक अंग का, एक-एक वस्त्र का, एक-एक आभूषण का दर्शन करें। क्योंकि प्रभु के अंग, वस्त्र और आभूषण कितने सुंदर हैं, कितने अद्भुत हैं। हम जब मंदिर में भगवान का दर्शन करने जाएं तो भगवान के ही हो जाएं तब ही भगवान के सही दर्शन होते हैं। जिसकी दर्शन में रूचि है, यदि तुमने भगवान का दर्शन श्रद्धापूर्वक-निष्ठापूर्वक दर्शन किया है तो भगवान से कुछ भी मांगना नहीं पड़ेगा, प्रभु स्वयं ही तुम्हारी झोली भर देंगे।
इस अवसर पर कथा संयोजक विधायक रामेश्वर शर्मा, श्रीमती संगीता शर्मा, श्रीमती रूमा विश्वास सारंग, यजमान अशोक चतुर्वेदी, श्रीमती कमलेश चतुर्वेदी, चंदरलाल चंदानी, सुधीर अग्रवाल, माधु चांदवानी, राम बसंल ने भगवान की दिव्य झांकी का पूजन अर्चन किया गया। कथा पंडाल में मौजूद 75 हजार से अधिक श्रोता इस दिव्य विवाह के साक्षी बने। इस प्रसंग पर कथा पंडाल में बैठा हर व्यक्ति अलौकिक आनंद से भर उठा। गौतरलब है कि इस दिन मृदुलजी ने इंद्र अभिमान भंग, महारास, कंस वध, उद्धव चरित्र, रूकमणी मंगल की कथा का वर्णन किया। 
 
Kolar News 23 December 2016

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