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जबलपुर के मंझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी फिजूलखर्ची या यूं कहें भ्रष्टाचार का अनोखा मामला सामने आया है। यहां BMO और डॉक्टर्स ना केवल 25 KM दूर से चाय बुलवाकर पी रहे थे, बल्कि नाश्ते के लिए नमकीन, बिस्कुट, पानी की बॉटल और समोसा भी वहीं से मंगवाया जा रहा था। इसके लिए खटारा गाड़ी को लगवाकर प्रतिमाह 25 हजार रुपए का बिल बनाया गया। साथ ही कर्मचारियों की ट्रेनिंग के बिना हजारों रुपए खर्च होना बताया गया।खास बात ये है कि ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होने की बजाय उस BPM (ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर) का ही ट्रांसफर कर दिया गया, जिसने इन गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। अब हाईकोर्ट ने BPM के तबादले पर रोक लगा दी है, साथ ही आरोपी अधिकारी के अलावा NRHM (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन) व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।मंझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ BMO डॉक्टर पारस ठाकुर सहित अन्य डॉक्टर और कर्मचारियों पर आरोप है कि वे 25 किमी दूर सिहोरा तहसील से चाय बुलवाकर पीते थे। चाय के साथ फोटो कॉपी, गमला खरीदी भी सिहोरा से ही की गई। इसका कुल बिल 70 हजार रुपए का लगाया गया। बिल जब BPM अमित चंद्रा के पास पहुंचा तो उन्होंने इसका भुगतान करने से इनकार कर दिया, साथ ही इसकी शिकायत भी कर दी। अमित चंद्रा ने बताया कि सितंबर 2021 से फरवरी 2022 तक वे मंझौली में पदस्थ थे। इस दौरान उन्होंने फर्जी बिलों पर साइन करने से इनकार कर दिया। इसे लेकर BMO ने उन पर दबाव भी बनाया, जिसके बाद BPM ने वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी शिकायत कर दी। हालांकि इसके बाद भी दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाय अमित चंद्रा को जिला अस्पताल में अटैच कर दिया गया। इसके बाद भी वे नहीं माने तो उनका तबादला दमोह जिले के तेंदूखेड़ा में कर दिया गया।BPM अमित चंद्रा ने नवंबर 2022 में लोकायुक्त पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने BMO को नोटिस जारी कर जांच शुरू की ही थी कि अमित चंद्रा के खिलाफ अनुशासनहीनता जैसे आरोप लगाकर BMO ने आला अधिकारियों को शिकायत कर दी। इसके बाद चंद्रा ने 7 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की।22 फरवरी को जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अलावा संबंधित BMO डॉ. पारस ठाकुर और NRHM (नेशनल रुरल हेल्थ मिशन) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, साथ ही अमित चंद्रा के ट्रांसफर पर रोक लगा दी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कहकर बयान देने से बच रहे हैं।
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