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इंदौर की एक आईटी कंपनी की पॉलिसी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। कंपनी की एक महिला कर्मचारी ने ही पोस्ट डाली है, जिसमें बताया है कि यहां स्टाफ को ओवरटाइम नहीं करने दिया जाता है। कम्प्यूटर की स्क्रीन पर अलर्ट का मैसेज आता है कि आप घर जाइए, आपकी शिफ्ट पूरी हुई। इस पर भी यदि कर्मचारी अपनी सीट से नहीं उठता है तो अगले 10 मिनट में कम्प्यूटर अपने आप शटडाउन हो जाता है। कंपनी के अचानक सुर्खियों में आने के बाद पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका सहित अलग-अलग कंट्री से लोगों ने अपना रिज्यूम भेजकर कंपनी में काम करने की इच्छा जताई है।बचपन के दोस्त फाउंडर पवन और अजय दोनों नर्मदापुरम जिले के सोहागपुर के रहने वाले हैं। पवन के पिता केएल चौहान रेलवे से रिटायर्ड हैं। मां रेवती बाई चौहान का निधन पवन जब दो-ढाई साल के थे तब हो गया था। प्राथमिक शिक्षा रेलवे स्कूल में हुई। इसके बाद अन्य स्कूल से 6 से 12वीं तक की पढ़ाई की। कम्प्यूटर साइंस में बीकॉम करने के बाद एमबीए करने पवन दोस्त अजय के साथ इंदौर आ गए। अजय के पिता दयाराम गोलानी की ग्रोसरी की दुकान है। मां कल्पना गोलानी हाउस वाइफ हैं। सोहागपुर से स्कूलिंग और फिर कॉलेज में बीसीए की पढ़ाई की।कंपनी की तीसरी फाउंडर श्वेता शुक्ला जबलपुर की रहने वाली हैं। पिता बीपी शुक्ला रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं। मां प्रेमा शुक्ला हाउस वाइफ हैं। पिता के ट्रांसफर के कारण श्वेता की अलग-अलग शहरों के केंद्रीय स्कूलों में पढ़ाई हुई। जबलपुर के सेंट अलॉयसियस कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद एमबीए के लिए 2007 में इंदौर आ गईं।साल 2007 में तीनों अजय, पवन और श्वेता MBA करने के लिए इंदौर आए। यहां आईपीएस कॉलेज में तीनों ने एडमिशन लिया। अजय और पवन तो पहले से दोस्त थे, लेकिन श्वेता से मुलाकात कॉलेज में हुई। तीनों अच्छे दोस्त बन गए। 2009 में MBA पूरा हुआ तो तीनों ने अलग-अलग कंपनियों में जॉब की। जॉब करते हुए एक साल हो गया। एक दिन अजय ने पवन और श्वेता को मिलने के लिए मैसेज किया। साथ बैठकर डिसाइड किया कि स्टार्टअप करना चाहिए। हम जॉब के लिए नहीं बने हैं।
Kolar News
22 February 2023
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