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क्रिटिकल केयर (ICU) में एडमिट होने वाले पेशेंट्स के परिजनों के सामने दो चिंता होती है। पहली यह कि पेशेंट ठीक हो पाएगा या नहीं और दूसरी यह कि आईसीयू में इलाज के दौरान कितना खर्चा आएगा। इसके लिए 22 से 26 फरवरी तक ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (ISCCM) की 29वीं वर्कशॉप व कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई है। इसमें 20 देशों के दो हजार से ज्यादा डॉक्टर्स (इंटेसिविस्ट) शामिल होंगे। इस बार कॉन्फ्रेंस की थीम 'कॉस्ट इफेक्टिव इंटेनिसव केयर विथ ह्युमिनाइसेशन' होगी।छह दिन चलने वाली इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पहली बार पब्लिक के लिए मेडिकल इमरजेंसी का एक सेशन रखा गया है। इसमें लोगों को लकवा, मिर्गी, हार्ट अटैक, दुर्घटना, जलने, सांप काटने आदि की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक कैसे केयर की जाए और जान बचाई जा सके, इसका भी एक महत्वपूर्ण सेशन रहेगा।ऑर्गेनाइजिंग चेयरमेन और ISCCM के अध्यक्ष डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि क्रिटिकल केयर फील्ड में पायोनियर डॉ. आरके मणि खास तौर पर शिरकत करेंगे। उन्होंने 20 साल तक सुप्रीम कोर्ट में पेशेंट्स को ‘डेथ विद डिग्निटी’ दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है और अब जाकर इसे सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिली है।इस कानून के बनने के बाद जिन बीमारियों का इलाज संभव नहीं है, ऐसे पेशेंट्स को आईसीयू में ज़िंदगी और मौत के बीच कष्टदायी समय काटने की अनिवार्यता से मुक्ति मिलेगी। ऐसे मरीजों को अब लाइफ सपोर्ट के बजाए बेसिक लाइफ केयर देकर 'डेथ विद डिग्निटी' का अधिकार दिया गया है। डॉ. मणि ने आईसीयू में कॉस्ट इफेक्टिव ट्रीटमेंट को लेकर भी काफी सराहनीय काम किया है।
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