केरवा ,कलियासोत और कोलार और शहर से सटे एक दर्जन गांव व क्षेत्रों में बाघों का खौफ बढ़ गया है। बाघ कब किस क्षेत्र और गांव में धावा बोल दे कहा नहीं जा सकता। डरे-सहमे लोगों ने जंगल से सटे क्षेत्रों में टहलना और सुबह की मॉर्निंग वॉक तक छोड़ दी है। जिन गांवों के आसपास बाघ का मूवमेंट है वहां के लोगों ने रात में सिंचाई का काम बंद कर दिया है। फिर भी वन विभाग के पास लोगों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। केवल गश्ती से काम चल रहा है। प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि वन विभाग होशंगाबाद जैसी घटना का इंतजार कर रहा है, जहां बाघिन ने 19 नवंबर को बालिका का शिकार कर लिया था।
मेंडोराः मेंडोरा अकसर बाघों के निशाने पर रहा है। 29 नवंबर रात को वन विभाग को बाघ के होने का सूचना मिली।चिचलीः 29 नवंबर दोपहर तक बाघ गांव के नजदीक रहा।संस्कार वैली स्कूलः कलियासोत-केरवा रोड किनारे दो बाघों का मूवमेंट बढ़ रहा है। रात में अकेले चलना मुश्किल है। 18 नवंबर की रात बाघ बैल का शिकार कर चुके हैं। समसगढ़ः 25 नवंबर की रात में बाघ ने खेत में बछड़े पर हमला किया। दूसरे दिन 26 नवंबर को झोपड़ी पर चढ़कर उत्पात मचाया। भानपुरः 29 नवंबर दिन में पारस तलाई चट्टान पर बाघ दिखा। 28 नवंबर की रात बाघ बस्ती में दिखा। खाकरडोलः 28 नवंबर की रात कुवर सिंह भिलाला की गाय पर हमला किया। दानिश हिल्सः शिकार की तलाश में 29 नवंबर रात दो बार कॉलोनी के पास पहुंचा। सूने मकान में बैठे सुअरों को निशाना बनाया।
बाघों की संख्या बढ़ी। खुद की टेरेटरी के लिए जंगल कम पड़ा।वनाधिकार पट्टों के नाम पर जंगलों में अतिक्रमण बढ़ा। सार्वजनिक प्रोजेक्टों के नाम पर पेड़ काटे। खनिज चोरी करने जानवरों के प्राकृतिक रास्तों में वाहनों की दखलंदाजी बढ़ी। जंगल के भीतर शिकार की कमी। आबादी वाले क्षेत्रों में आसानी से शिकार उपलब्ध।