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मुख्यमंत्री ने 47 साल बाद अपने स्कूल में कहानी सुनाई
मुख्यमंत्री ने कहानी सुनाई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहानी उत्सव के तहत सैंतालीस वर्ष बाद अपने पुराने स्कूल शासकीय माध्यमिक शाला क्रमांक -1 शिवाजी नगर पहुँचे। उन्होंने यहाँ बच्चों को कहानी सुनाई और अपनी पुरानी स्मृतियों को ताजा किया। मुख्यमंत्री चौहान इस स्कूल में वर्ष 1969 में कक्षा 6वीं से 8वीं तक पढ़े हैं। राज्य शासन द्वारा कहानी उत्सव का आयोजन बच्चों में पढ़ने की बेहतर क्षमता विकसित करने के लिये किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री चौहान ने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी अर्जुन की कहानी सुनाई। जिसमें गुरु द्रोणाचार्य द्वारा कौरवों और पांडवों की निशानेबाजी की परीक्षा ली गयी थी। जिसमें सभी को पेड़ पर चिड़िया के साथ-साथ अन्य चीजें दिखाई दे रही थीं। जबकि अर्जुन को केवल लक्ष्य चिड़िया की आँख दिखायी दे रही थी। उन्होंने कहानी के माध्यम से बच्चों को बताया कि सफलता के लिये अपने लक्ष्य पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। बच्चें अपने लक्ष्य यानी पढ़ाई पर ध्यान देकर जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने दूसरी कहानी गांधी जी के बचपन की सुनायी। जिसमें परीक्षा के दौरान सवाल नहीं आने पर गांधी जी को शिक्षक ने पास के विद्यार्थी से देखने को कहा था। जिस पर गांधी ने कहा था कि मुझे जितना आता है उतना ही लिखूँगा नकल नहीं करूँगा।

स्मृतियों को ताजा किया

मुख्यमंत्री  चौहान ने अपने पुराने स्कूल में पहुँच कर अपनी स्मृतियों को ताजा किया। उन्होंने कहा कि वे यहाँ रविशंकर नगर से पैदल पढ़ने के लिये आते थे। यहाँ कश्यप सर और शैलबाला मैडम ने पढ़ाया। इस स्कूल में वे कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक पढ़े। यहाँ वे फुटबाल भी खेलते थे। इस स्कूल से मिली शिक्षा और गुरूजनों के आशीर्वाद से वे अच्छे इंसान बने। उन्होंने कहा कि हम सब माता-पिता के संस्कार और गुरूओं की शिक्षा से अच्छे बनते हैं। इस स्कूल में बाल सभा होती थी जिसमें नाटक भी खेले जाते थे। वे हमेशा प्रथम श्रेणी में आते थे। इस स्कूल से 8वीं पास करने के बाद वे टी.टी.नगर के मॉडल स्कूल में पढ़ने गये। जहाँ आपातकाल के विरोध के कारण उन्हें जेल भेजा गया। जेल से साढ़े नौ माह बाद जनवरी 1977 में निकलने पर उन्होंने मार्च 1977 में ग्यारहवीं की परीक्षा दी, जिसमें प्रथम श्रेणी प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया और इसमें वे प्रथम श्रेणी आये।

बच्चों को सौगातें

स्कूल के बच्चों की मांग पर उन्होंने कहा कि बच्चों को दिसम्बर की छुट्टी में मांडवगढ़ की यात्रा पर ले जाया जायेगा। स्कूल के भवन की मरम्मत की जायेगी। स्कूल का नया भवन बनाया जायेगा। खेल मैदान बनाया जायेगा तथा क्रिकेट, हॉकी और बेडमिंटन खेल की सामग्री दी जायेगी। उन्होंने बच्चों को किताबें भी वितरित की। उन्होंने बच्चों से कहा कि जीवन में जिस क्षेत्र में भी जायें, सर्वश्रेष्ठ बनें। देश और समाज के लिये काम करें। प्रतिभाशाली बच्चों की पढ़ाई के लिये राज्य शासन सभी संभव मदद करेगा। बारहवीं के बाद गरीब और प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिये मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि में प्रवेश मिलने पर फीस राज्य शासन द्वारा दी जायेगी। 

Kolar News 30 November 2016

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