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कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा अब हमेशा के लिये सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संभ्रांत नागरिक बन गये हैं। अपने गृह राज्य कर्नाटक से विदा लेकर अब कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा हाथी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के निवासी बन गये हैं। कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा हाथियों ने बंधीपुर टाईगर रिजर्व कर्नाटक से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में आज शुक्रवार को प्रवेश कर लिया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) जे.एस.चौहान ने बताया कि प्रदेश में स्थित टाइगर रिजर्वों में वन्य-प्राणी प्रबंधन में हाथियों की आवश्यकता को देखते हुए हाथी लाने की योजना लगभग एक वर्ष पूर्व बनाई गई थी । संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में बनाई गई समिति ने कर्नाटक के विभिन्न हाथी केम्पों का निरीक्षण कर 14 हाथियों का चयन किया। इन हाथियों को मध्यप्रदेश लाने के लिये भारत सरकार, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश शासन से आवश्यक स्वीकृति ली गई । एक दल इन हाथियों को लाने के लिए दिनांक 23 नवम्बर 2022 को रवाना हुआ। इस दल द्वारा मार्गों पर हाथियों को रूकने एवं अन्य व्यवस्थाओं के लिये स्थलों का चयन एवं स्थानीय वन अधिकारियों के साथ व्यवस्थित तैयारियाँ की। परिवहन दल में लगभग 22 सदस्य रहे जिनमें क्षेत्र संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, सहायक संचालक, सतपुड़ा एवं पन्ना टाइगर रिजर्व से परिवहन प्रारंभ किया गया । लगभग 1600 कि.मी. की दूरी तय की गई।
परिवहन दल में वन्य-प्राणी चिकित्सक और अन्य सहयोगी अमला भी साथ रहा। यह दल कर्नाटक के बाद आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना तथा महाराष्ट्र होते हुए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंचा है। यहाँ वन विभाग एवं पुलिस बल द्वारा इस दल को विशेष सहयोग एवं सुरक्षा दी गई। इन हाथियों में दो नर एवं दो मादा हाथी है। नर हाथियों के नाम कृष्णा, गजा और मादा हाथियों के नाम पूजा एवं मरीशा है। इनके साथ कर्नाटक से महावत आए हैं जो कुछ दिन सतपुड़ा में ही रहकर इनके व्यवहार से सतपुड़ा के महावत को परिचित कराएंगे। इन हाथियों को सतपुड़ा के महावत द्वारा संपूर्ण प्रशिक्षित किया जाएगा। बाद में इन्हें वन्य-प्राणी संरक्षण में उपयोग किया जाएगा। सभी हाथी सकुशल हैं और अभी विश्राम पर हैं। शेष 10 हाथियों को इसी माह में दो चरण में लाने पर विचार किया जा रहा है।
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