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सहकारिता ई-रिक्शा से देगा रोजगार के मौके
सहकारिता विभाग अब लोक परिवहन के क्षेत्र में उतरेगा। परिवहन की सहकारी समिति बनाकर ई-रिक्शे चलवाए जाएंगे। इसकी शुरुआत भोपाल, इंदौर सहित संभागीय मुख्यालय से होगी। भोपाल में इनके दायरे रंगों के हिसाब से तय होंगे यानी एक रंग के ई-रिक्शों के लिए एक क्षेत्र निश्चित होगा।
समितियों को ई-रिक्शा खरीदने में मदद करने सदस्यों को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से कर्ज भी दिलाया जाएगा। इसके लिए अगले सप्ताह तक सहकारिता विभाग नियमों को तय करके जिलों को भेज देगा।
बीआरटीएस से होंगे लिंक
सूत्रों के मुताबिक भोपाल में ई-रिक्शा को बीआरटीएस से लिंक किया जाएगा। अभी दिक्कत है कि बीआरटीएस स्टैंड से लोगों को कॉलोनियों तक जाने के लिए लिंक वाहन नहीं मिलते हैं। इसे देखते हुए तय हुआ है कि इन्हें बीआरटीएस से जोड़ा जाएगा। जोन (कलस्टर) भी इसी हिसाब से बनाए जाएंगे। एक जोन में एक ही रंग के ई-रिक्शा ही चलेंगे, जैसे राजधानी के अरेरा कॉलोनी क्षेत्र के लिए हरे रंग के ई-रिक्शे तय होंगे, तो न्यू मार्केट क्षेत्र के लिए नारंगी रंग रहेगा। जोन के हिसाब से ही ई-रिक्शे के दायरे भी तय होंगे। मौजूदा रिक्शों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। यदि वे ई-रिक्शा चलाने चाहते हैं, तो अपनी सहकारी समिति भी बना सकते हैं।
30 नवंबर तक बनाओ सोसायटी
सहकारिता विभाग ने तय किया है कि 30 नवंबर तक संभागीय मुख्यालयों के साथ जिलों में एक परिवहन सोसायटी का गठन किया जाएगा। इसके लिए उप पंजीयकों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। वे मौजूदा रिक्शा चालकों या युवाओं को जोड़कर समिति बना सकते हैं। समिति में कम से कम 20 सदस्य होंगे। इनके नाम पर ही बैंकों से ऋण दिलाया जाएगा। इसके बाद ई-रिक्शों को सड़क पर उतारने में मार्च-अप्रैल तक का समय लग सकता है।
रोजगार का नए रास्ते करेंगे तैयार
सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने दावा किया है कि सहकारिता के जरिए रोजगार के नए रास्ते खोले जाएंगे। इसके लिए विभाग ने नवाचार के जो नए क्षेत्र खोजे हैं, उन्हें जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। ई-रिक्शा प्रोजेक्ट पहले संभागीय मुख्यालय और फिर जिला मुख्यालय में लागू किया जाएगा। इसके लिए न सिर्फ सहकारी समितियां बनाई जाएंगी, बल्कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कर्ज भी दिलाया जाएगा।
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