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भोपाल सेंट्रल जेल में रात दो बजे गार्डों की ड्यूटी चेंज होती है। नियमत: जब दो से छह बजे की ड्यूटी का जवान पाइंट पर आ जाए, तब पहले वाले को पाइंट छोड़ना चाहिए। लेकिन घर जाने की जल्दी में सुरक्षाकर्मी दो बजते ही पाइंट छोड़कर मेन गेट पर आ जाते हैं। जब कोई गार्ड नहीं था, संभवत: उसी समय बीती रात आतंकी बाहर निकले ।
कैदियों व बंदियों की मूवमेंट व सुरक्षा की दृष्टि से जेल में बैरकों के बाहर कैमरे लगे हैं। वर्तमान में अधिकांश कैमरे बंद पड़े हैं। मृतक हेडकांस्टेबल के भतीजे आत्माकुमार का आरोप है कि अधिकारियों ने जेल के अंदर की गतिविधियों को सरकार व आम लोगों से छिपाने के उद्देश्य से ही कैमरों का मेंटेनेंस नहीं कराया है। करोड़ों के बजट को अधिकारियों ने बंदरबांट कर लिया है।
जेल सूत्रों ने बताया कि आठों आतंकियों को भागते हुए दूसरे ब्लॉक में गार्ड की ड्यूटी कर रहे रामाधार राम के प्रधान आरक्षक ने देखा है। रामाधार के हाथ में एसएलआर गन और करीब 17 राउंड कारतूस होने के बाद भी उसने डरकर फायरिंग नहीं की।
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