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मरीज दिनभर होते रहे परेशान
कोलार सहित कई इलाकों में एक बार फिर 108 एंबुलेंस की सुविधा के लिए मरीज दिनभर परेशान होते रहे। इस बार मामला डीजल खत्म होने का है। कोलार, हबीबगंज, सूखी सेवनिया, निशातपुरा और मिसरोद की एंबुलेंस में डीजल खत्म हो जाने के चलते पायलट्स ने इनको खड़ा कर दिया। हालांकि 108 एंबुलेंस का संचालन कर रही जीवीकेआई प्रबंधन ने सिर्फ निशातपुरा और मिसरोद एंबुलेंस का अन्य कारणों से बंद होना स्वीकार किया है। उधर, नेेशनल हेल्थ मिशन के अफसरों का दावा है कि डीजल के लिए जीवीकेआई को चार करोड़ रुपए का पेमेंट किया जा चुका है। एंबुलेंस कर्मचारी बेवजह छोटी-छोटी बातों को लेकर बार बार एंबुलेंस बंद कर मरीजों को परेशान कर रहे हैं।
जीवीकेआई प्रबंधन के अफसरों का कहना था कि ईएमटी और पायलट्स जबरन गाड़ियों को खड़ा कर देते हैं। निशातपुरा की एंबुलेंस को मेंटेनेंस के चलते ऑफ रोड किया गया है। जबकि मिसरोद एंबुलेंस के ड्राइवर की तबीयत खराब होने के चलते वह नहीं चली। हालांकि एंबुलेंस कर्मचारियों ने बताया कि डीजल नहीं मिलने से गाड़ी खड़ी कर दी है। यही स्थिति नरसिंहपुर जिले की भी रही। यहां पर दोपहर में 5 से ज्यादा गाड़ियां डीजल और स्टाफ की कमी के चलते बंद कर दी गई।
एनएचएम के डिप्टी डायरेक्टर अभिषेक गहलोत का कहना है कि चार करोड़ रुपए डीजल के लिए दिए जा चुके हैं। गाड़ियां बंद होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। पहले भी जबरन छोटी-छोटी बातों को लेकर गाड़ियां बंद की गई थी। यदि कोई ऐसा कर रहा है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 20 तारीख से गाड़ियां नई कंपनी को सौप दी जाएंगी।
मप्र में ब्लैक लिस्टेड कंपनी जिगित्सा हेल्थ केयर को कॉन्ट्रेक्ट देने का वर्तमान में जननी एक्सप्रेस का संचालन करने वाले संचालकों ने विरोध शुरू कर दिया है। आरोप है कि नई कंपनी को एम्बुलेंस व्यवस्था सौंप कर 582 करोड़ रुपए के नए घोटाले की तैयारी हो रही है। जननी एक्सप्रेस संचालक संघ के अध्यक्ष दीपक डालमिया ने आरोप लगाया है कि जननी एक्सप्रेस एम्बुलेंस का संचालन पहले महज 10 रुपए किमी पर दिया गया था। अब जिगित्सा को यह ठेका 17 रुपए किलोमीटर पर दिया गया है। जबकि कंपनी संचालकों को 8 रुपए 50 पैसे की दर में गाड़ी चलाने का दबाव बना रही है।
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