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मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायतों का निर्वाचन हो चुका है। नई पंचायतों ने काम करना शुरू कर दिया है। शासन की ओर से ग्राम पंचायतों के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। स्पष्ट कर दिया गया है कि सरकार की तरफ से केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट मिलेगा। पंचायतों को अपना पैसा खुद कमाना होगा। गाइड लाइन के अनुसार जिन पंचायतों की आबादी 5000 से अधिक है, वहां मिनी साइंस सेंटर भी खुल सकता है। पांचवें राज्य वित्त आयोग का 1900 करोड़ रुपए की किस्त जारी करने के साथ ही यह गाइडलाइन भी तय हो गई है। पंचायत विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह व्यवस्था पहले भी थी, लेकिन अन्य कार्यों के रूप में दर्ज थी, लेकिन अब इसे स्पष्ट कर दिया गया है। पंचायतें अब परिसंपत्तियों का भी निर्माण कर सकेंगी।हैंडपंप खनन, नलकूप खनन, पेयजल का परिवहन, ग्रेवल रोड या मुरम डालना, वाहनों का खरीदा जाना, पानी के टैंकर खरीदने आदि के काम पंचायतें नहीं कर पाएंगी। पंचायतों को पर्यटन से भी जोड़ा जा रहा है। अगर किसी पंचायत में ईको टूरिज्म का कोई स्थान है तो उसके लिए पहुंच मार्ग और बाकी सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं। पर्यटकों को शुल्क के साथ ठहराने की व्यवस्था बनाई जा सकती है।
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