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नर्मदापुरम शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर मां नर्मदा की गोद में बसा है गांव डोंगरवाडा। गांव में दाखिल होते ही सबसे पहले चौपाल पर बने मंदिर पर लगा पोस्टर आपका ध्यान खींचता है। इसमें सख्त लहजे में लिखा है... ग्राम पूर्णत: नशामुक्त है। जो भी नशा करते पाया गया उस पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आज यह गांव पूरी तरह नशामुक्त है। और यही इस गांव की पहचान बन गई है। गांव में कोई नशा करके आ भी गया तो उससे 1300 रुपए जुर्माना वसूला जाता है। और इस पैसे को गांव की सफाई में खर्च किया जाता है। अभी तक 6-7 लोगों से ये जुर्माना वसूला जा चुका है। इतना ही नहीं, नशा करके आने वाले को नर्मदा किनारे बने सामुदायिक मंगल भवन में बैठा दिया जाता है। नशा उतरने पर उसी से पूरे भवन की सफाई कराई जाती है। महिलाओं की पहल में धीरे-धीरे पुरुष भी शामिल हो गए। नशाबंदी अभियान को चलाने के लिए अब ग्राम रक्षा समिति बनाई गई। समिति ने नर्मदा जयंती पर गांव में नर्मदा पुराण कराई और ग्रामीणों को नशा नहीं करने की शपथ दिलाई। समिति के माखन, कमल सिंह कीर, अशोक कीर बताते हैं कि जुर्माने की कार्रवाई यह समिति ही करती है। समिति की सख्ती के कारण ही गांव में बिकने वाली अवैध शराब के करीब 8 ठीये बंद हो गए हैं। शराब हमेशा के लिए बंद रहना चाहिए। महिलाओं को आए दिन होने वाले झगड़े से मुक्ति मिल गई है। पहले गांव में नशा करने वालों के कारण माहौल खराब था।
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