Video

Advertisement


टाइगर टेराटेरी में बने मकान
kolar tiger

राजधानी के पास कलियासोत और केरवा और कोलार के जंगलों में बनी बाघों की टेराटरी के आसपास एनजीटी की रोक के बाद भी होने वाले निर्माणों का सर्वे कर उनको हटाया जाएगा। गौरतलब है कि एनजीटी ने कलियासोत और केरवा के बाघ टेरीटरी इलाके में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई थी।  

यह रोक तब तक लगी रहेगी, जब तक कि बाघ के विचरण क्षेत्र और उसके दायरे का मामला सुलझा नहीं जाता।  लेकिन इस क्षेत्र में रसूखदारों के फार्म हाउस और उनमें होने वाले निर्माण जंगलों में विचरण करने वाले वन्य प्राणियों के लिए परेशान बन रहे हैं।  वन विभाग को उम्मीद थी कि इस क्षेत्र में धारा 144 के लागू होने के बाद इन क्षेत्रों में आना-जाना कम होगा लेकिन ऐसा नहीं है।  रातापानी और समरधा के जंगलों से बाहर निकलकर कलियासोत और केरवा क्षेत्र में घूम रहे बाघों को लेकर एनजीटी में सुनवाई हो चुकी है और वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए गश्ती दल की तीन पारियों में ड्यूटी लगायी है, ताकि उनकी लोकेशन का पता चलता रहे।

रातापानी अभयारण्य में कुछ सालों से बाघ प्रजाति की संख्या में इजाफा हुआ है। तीन-चार साल पहले जहां भोपाल के आसपास के जंगलों में एक-दो बाघ-बाघिन सक्रिय थे, उनकी संख्या अब बढ़ गई है। छह महीने से भोपाल के पास आधा दर्जन से अधिक बाघ- बाघिन का मूवमेंट देखा गया है। विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि ईको पर्यटन पर फिलहाल रोक नहीं, लेकिन उनको घने जंगल में जाने की अनुमति लेनी होगी। इन दिनों बाघ-बाधिन का मूवमेंट बढ़ रहा है। इसके चलते सैलानियों पर भी नजर रखी जा रही है, उन्हें डेम के आसपास जाने से रोका जा रहा है।

 

Kolar News 12 October 2016

Comments

Be First To Comment....

Page Views

  • Last day : 8796
  • Last 7 days : 47106
  • Last 30 days : 63782
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.