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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को पन्ना जिला कलेक्टर को पंचायत चुनाव में प्राकृतिक न्याय का पालन नहीं करने और कम वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित करने के लिए फटकार लगाई। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह व्यक्ति कलेक्टर के पद के योग्य नहीं है और इसे तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि पन्ना जिला कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने राजनीतिक एजेंट की तरह काम किया है। उन्होंने इस आदेश को पारित करके खुद को एक राजनीतिक एजेंट के रूप में पेश किया और उन्हें प्राकृतिक न्याय की कोई परवाह नहीं है। इस आदमी को कलेक्टर के पद से हटा दिया जाना चाहिए।
अदालत ने यह टिप्पणी परमानंद शर्मा द्वारा दायर एक चुनावी याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जो पन्ना जनपद पंचायत में उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवारों में से एक थे। प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से जनपद पंचायत सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया के बाद, निर्वाचित सदस्यों को विशेष जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करने के लिए मतदान करना था। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए 27 जुलाई को चुनाव हुए थे। परमानंद शर्मा को अपने प्रतिद्वंद्वी राम शिरोमणि के खिलाफ कुल 27 मतों में से 13 मत मिले थे। तदनुसार, पीठासीन अधिकारी ने शर्मा को विजेता का प्रमाण पत्र सौंपा था। चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद, राम शिरोमणि ने परिणाम को चुनौती दी थी। शिरोमणि ने पन्ना जिला कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा से संपर्क किया था। कलेक्टर ने दोनों पक्षों को बुलाया और उपाध्यक्ष पद के लिए विजेता घोषित करने के लिए लॉटरी का आयोजन किया। वहीं कम वोट हासिल करने वाली शिरोमणि को विजेता घोषित किया गया। इसके बाद शर्मा ने लॉटरी सिस्टम के नतीजे को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि कलेक्टर पद के लिए फिट नहीं हैं और उन्हें हटाया जाना चाहिए। कोर्ट ने मामले में कलेक्टर को भी पक्षकार बनाया था।
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