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शहर के साइकिल ग्रुप्स में शामिल होकर गर्ल्स भी इन दिनों नए-नए टास्क पूरे कर रही हैं। वे अपनी क्षमताओं को आजमाते हुए रोज नए मुकाम हासिल कर रही हैं। कोई तेज धूप, बारिश और ठंड में 300 से 600 किलोमीटर राइडिंग के चैलेंज पूरे कर रही है तो कोई साइकिलिंग कर नर्मदा परिक्रमा कर रही है। इनका कहना है कि सोलो और ग्रुप दोनों राइड का अपना मजा है। हालांकि, ऐसा करने पर कई बार उन्हें लोगों के ताने भी सुनने पड़ते हैं, लेकिन वे इसकी परवाह नहीं करती क्योंकि अब साइकिलिंग उनके लिए पैशन बन चुका है। वे भी पुरुषों की तरह हर मुकाम हासिल करना चाहती हैं। उनका टारगेट साइकिल से ही पूरे देश की यात्रा करने का है।
राइडर मुस्कान रघुवंशी ने बताया कि मैंने करीब एक साल पहले साइकिलिंग शुरू की थी। इसके बाद एक इवेंट में अलग-अलग चरणों में 150 से 600 किलोमीटर साइकिलिंग की और एक कैलेंडर ईयर में ऐसा करने वाली मैं सबसे यंगेस्ट फीमेल राइडर बनीं। मैं 19 दिन में नर्मदा की साइकिल से परिक्रमा कर चुकी हूं। इस दौरान करीब 3500 किलोमीटर राइड की। ये मेरे लिए बहुत टफ टास्क था, क्योंकि हर दिन मुझे 150 से 200 किलोमीटर साइकिल चलाना होती थी। कभी पहाड़ तो कभी घाटियां मेरी परीक्षा लेते थे, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैं सुबह-5 बजे राइड शुरू करती थी जो रात-11 बजे तक चलती थी। कभी आश्रम-स्कूल तो कभी होटल में स्टे करती। गुजरात में मुझे रुकने की कोई सेफ जगह नहीं मिली तो सौ किलोमीटर लौटकर आना पड़ा। कई बार लड़की को साइकिल चलाते देख लोग बॉडी शेमिंग करते हैं, लेकिन मैं लोगों की इसी सोच में बदलाव के लिए तो ये कर रही हूं। अब गर्ल्स सेफ्टी को लेकर मैं देशभर में साइकिल यात्रा की तैयारी कर रही हूं।
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