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अमरनाथ में बादल फटने से आयी आपदा में 16 लोगों की जान जा चुकी है । और कई यात्री अभी भी लापता हैं। जो लोग मलबे में दबे हुए है उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया है । अमरनाथ धाम में हज़ारों श्रद्धालु अलग अलग जगह से जाते है। जिनमे मध्यप्रदेश के यात्री भी शामिल है। इस आपदा के बीच मध्यप्रदेश के भी कई यात्री वह फसे हुए है। इंदौर, बुरहानपुर और सीहोर से जो श्रद्धालु यात्रा पर गए थे वे भी अब बिना दर्शन किए घर आना चाहते है।और यात्री काफी डरे सहमे हुए है जो मध्य प्रदेश के सीएम से घर वापस आने की अपील कर रहे है। डरे और सहमे हुए इंदौर के एक अमरनाथ यात्री की मुख्यमंत्री से गुहार है की सीएम शिवराज जी बचाओ हमें... मध्यप्रदेश के शिवराज जी... मैं अमरनाथ यात्री सुधाकर बोल रहा हूं...। आप तो हमारे मामा हैं। कल्लू राठौर (65) इंदौर के बाणगंगा में रहते है वे अपने दामाद सचिन वारूढ़े ,समधी सुधाकर (71), समधन कुसुम, नाती श्रेयस और सीहोर में रहने वाले साले अतुल और उनकी पत्नी लक्ष्मी राठौर के साथ 3 जुलाई को भोपाल से अमरनाथ के लिए निकले थे। फिलहाल वे सभी पंचतरणी में एक टेंट में ठहरे हुए हैं। जिनमे तीनों बुजुर्गों की तबियत खराब है और उनका ब्लड प्रेशर लो हो गया है।
अमरनाथ में परिवार के साथ फंसे सचिन वारूढ़े ने अपने हालात दर्शाते हुए कहा की वे सभी 5 जुलाई को चांदनवाडी पहुंचे और 6 जुलाई को उन्होंने चढ़ाई शुरू की। शाम करीब 5.30 बजे वे सभी लोग अमरनाथ गुफा से करीब 200 मीटर दूर थे। तभी बादलों की जोरदार गड़गड़ाहट हुई। यह आवाज इतनी भयावह थी की वे सभी घबरा गए। देखा तो हर तरफ पानी का तेज बहाव था। वहां लगे टेंट और लोग तेजी से बाह रहे थे । वे लोग सुरक्षित जगह पर थे, लेकिन वे काफी घबरा गए थे। पानी में बहते हुए लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे, लेकिन हर कोई असहाय था। इसके बाद सचिन और उनका परिवार अपना सामान लेकर पंचतरणी की ओर भागने लगे। करीब दो किमी चलने के बाद उनके बुजुर्ग माता-पिता और ससुर थक चुके थे। उन्होंने वहां घोड़े पर उन्हें पंचतरणी जाने के लिए बात की तो जहां घोड़े का किराया 1500 रुपए लगता था, वह 6 हजार रुपए बताया गया । लेकिन मजबूरी के कारण उन्होंने तीनों बुज़ुर्गों को घोड़े से रवाना किया और वे उनके पीछे पैदल चले जिसके बाद वे रात करीब 1 बजे पंचतरणी पहुंचे। बाकी समय में पंचतरणी में टेंट का किराया 150 रुपए होता है लेकिन इस समय वही टेंट उनके 4 हजार रुपए का मिला। कोई सो नहीं सका और तभी से तीनों बुजुर्गों की तबीयत खराब है। सेना के जवानों को बताया गया तो उन्होंने डॉक्टरों को दिखाया। उनकी हालत अब पहले से ठीक है। लेकिन इन सब चीज़ों के बाद वे बिना दर्शन किए ही घर लौटना चाहते हैं। उनका कहना है की यहां पर लंगर में भोजन की व्यवस्था है, लेकिन दूसरी कोई भी चीज काफी महंगी है। 5 रुपए वाला बिस्किट का पैकेट 25 रुपए में मिल रहा है। यही स्थिति मैगी की है जो पांच-गुना महंगी है। यहां मोबाइल चार्ज करने की व्यवस्था नहीं है। हमारे दो बार पैसे खत्म हो गए। रिश्तेदारों ने पैसे ट्रांसफर किए। अब वह भी खत्म हो गए हैं। रविवार को इंदौर से तहसीलदार सहित अन्य अधिकारियों के फोन आए थे। उन्होंने कहा कि आप सभी की जानकारी भोपाल पहुँचा दी गयी है । जितना जल्दी हो सकेगा उतनी जल्दी मदद के हर संभव प्रयास किये जायेंगे।
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