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भोपाल में नर्मदा जल की पाइप लाइन बिछाने का काम घटिया स्तर से किया जा रहा है, लेकिन इस मामले में बीएमसी और डीएचवी इंडिया लिमिटेड दिल्ली ने आंखे मूंद कर 140 करोड़ का भुगतान लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग कंपनी को कर दिया है। बीएमसी के सिटी इंजीनियर और जल विभाग के प्रभारी एआर पंवार की आंखों के नीचे ही यह फर्जीवाड़ा चल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि शहर में पाइप लाइन बिछाने के लिए जगह-जगह पर खुदाई की जा रही है और कई जगह पर घटिया स्तर के पाइप डाल कर उसको वैसा ही छोड़ दिया है। हैरानी की बात तो यह है कि अधूरे काम का पेमेंट बिना किसी जांच के कर दिया गया है, जबकि शहर में अभी इसका काम चल ही रहा है।
नर्मदा जल की पाइप लाइन बिछाने के लिए शहर में करोड़ों का घोटाला हो रहा है। जवाहर लाल नेहरू अर्बन मिशन प्रोजेक्ट के तहत शहर भर में नर्मदा लाइन बिछाने के नाम पर जगह-जगह पर सड़कों को खोद दिया गया है और कई जगह पर पाइप लाइन बिछा कर उसको वैसा ही छोड़ दिया गया है। टीला जमालपुरा में इसका काम चल रहा है और भोपाल टाकीज मेन चौराहे पर व रशीदिया स्कूल के पास जहांगीराबाद की ग्वालियर वाली गली में पक्के काम के सीमेंट के काम को खोद कर उसको वैसा ही छोड़ दिया गया है।
नर्मदा पेयजल के फर्जीवाड़े की जानकारी के लिए काम करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता शाहगीर को बयान के लिए टीटी नगर थाने में बुलवाया। पिछले दिनों शाहगीर से निगम के सिटी इंजीनियर एआर पवार के कार्यालय में मारपीट हुई थी।
इंजीनियर पवार एक भाजपा नेता के बहुत ही करीबी हैं। इसलिए यह निगम के नेताओं और अफसरों को तवज्जो नहीं देते। रसूख देखिए, नेताप्रतिपक्ष सगीर ने नर्मदा प्रोजेक्ट का एक प्रश्न लगाया था, जिसे उन्होंने वापस ले लिया।
शहर में 600 करोड़ रुपये की तीन अलग-अलग योजनाएं चल रही हैं। इनके जरिए शहर में हर घर में 24 घंटे पानी का प्रदाय किया जाना है। लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी शहर को 24 घंटे तो दूर रोजाना पानी भी नहीं मिल पा रहा है। नगर निगम ने वर्ष 2007 में 415 करोड़ रुपये की वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क योजना बनायी थी और इसके लिए नगर निगम को 90 करोड़ रुपए एडीबी और 48 करोड़ रुपए गैस राहत बस्तियों के लिए भी मिल गये थे।
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