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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब देशभर में संचालित 25 हजार सरस्वती शिशु मंदिरों के आधुनिकीकरण में जुट गया है। विद्याभारती इन स्कूलों में इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन एंड टेक्नोलॉजी (आइसीटी) सेंटर खोल रहा है। इसके जिम्मे 1.25 लाख आचार्यों और पहली से 12वीं तक के 32 लाख विद्यार्थियों के शिक्षण-प्रशिक्षण से लेकर ई-लर्निंग के लिए ऑडियो-वीडियो आधारित पाठ्यक्रम विकसित करना है। मध्यभारत, मालवा, महाकौशल और छत्तीसगढ़ प्रांत के 625 सरस्वती शिशु मंदिर अत्याधुनिक शिक्षा की कवायद के तहत संवारे जा रहे हैं। देशभर के 80 हजार आचार्यों को तैयार किया जा रहा है। संघ में योजना पर 2015 से मंथन शुरू हो गया था। कोरोना काल के बाद जैसे ही केंद्र ने देश में एनईपी-2020 को लागू किया, विद्याभारती ने भी तत्परता से इस दिशा में काम शुरू कर दिया। पहले चरण में आइसीटी बेस्ड लर्निंग को महत्व दिया गया। विद्याभारती के परिसर और शिशु मंदिरों को अत्याधुनिक बनाने के प्रयास शुरू हुए। प्रांत कार्यालयों में कम्प्यूटर लैब, डिजिटल स्टूडियो बनाए। जिला केंद्रों को आइसीटी सेंटर के रूप में विकसित किया तो शिशु मंदिरों में स्मार्ट क्लासेस बनाई गईं।सघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की प्रेरणा से वर्ष 1952 में सबसे पहले शिशु मंदिर की शुरुआतगोरखपुर में हुई थी। विद्याभारती के पदाधिकारियों ने पाया कि शिशु मंदिरों को अगर सरकारी और निजी सेक्टर के आदर्श स्कूलों से टक्कर लेनी है आधुनिकीकरण के साथ आचार्यों और विद्यार्थियों की ट्रेनिंग जरूरी है। इसके लिए संसाधन जुटाए गए तो देश-दुनिया के मास्टर ट्रेनर और विषय विशेषज्ञों का शेड्यूल तय किया गया। अब हर महीने 10 दिन की लाइव क्लास हो रही है। ट्रेनर आचार्यों-शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
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