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मोदी और अमिताभ बच्चन को गिफ्ट देने वाले शख्स के पास नहीं है घर
मोदी और अमिताभ बच्चन को गिफ्ट देने वाले शख्स के पास नहीं है घर

जिले के बैकुंठपुर निवासी बुद्धसेन विश्वकर्मा 15 वर्षों की उम्र से लकड़ी में कलाकारी करके तराशने का काम कर रहे हैं। आज वे 56 वर्षों के हो चुके हैं। कारीगर ऐसे कि लकड़ी की सुई से लेकर मोटरसाइकिल जैसी डिजाइनिंग बनाने की कलाकारी रखते हैं। बॉलीवुड शहंशाह अमिताभ बच्चन से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इस कलाकार को जानते हैं। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से लेकर मौजूदा सीएम शिवराज सिंह भी उनकी कला के फैन हैं। अपनी कलाकारी से कई लोगों को फैन बनाने वाले बुद्धसेन विश्वकर्मा का जीवन बेहद गरीबी में गुजर रहा है। उनके पास रहने के लिए अपना घर तक नहीं है। 11 दिसंबर वर्ष 2016 को बुद्धसेन विश्वकर्मा ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीएमडब्ल्यू डिजाइनिंग की तरह दिखने वाली मोटरसाइकिल गिफ्ट की थी। इसे उन्होंने वेस्ट लकड़ी का इस्तेमाल कर बनाया था। 3 फीट ऊंची मोटरसाइकिल बनाने में उन्हें चार महीने का समय लगा था। उपहार मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बुद्धसेन विश्वकर्मा से पूछा कि उनसे क्या चाहते हो? बुद्धसेन विश्वकर्मा ने जवाब दिया- कुछ नहीं चाहिए। वह सिर्फ उन्हें बाइक देकर अपनी 12 वर्ष की बेटी की इच्छा पूरी करना चाहते हैं। बेटी आपकी बहुत बड़ी फैन है। ये जवाब उस बुद्धसेन विश्वकर्मा का था, जिसके पास न रहने को खुद का मकान है और न बैंक बैलेंस। दिन 2 वक्त की रोटी जुटाने में गुजर जाता है। रात का कुछ हिस्सा कुछ न कुछ नया बनाने में। प्रधानमंत्री को मिले 100 तोहफों की नीलामी हुई तो बुद्धसेन विश्वकर्मा की मोटरसाइकिल सबसे महंगी बिकी थी। नीलामी की रकम गंगा सफाई अभियान के फंड में दी गई। बुद्धसेन विश्वकर्मा 15 वर्षों से ही लकड़ी के खिलौने बनाने का कार्य कर रहे हैं जिनका यह प्रोफेशनल शौक है। वे देश के जानी-मानी दिग्गज हस्तियों को अपनी कारीगरी का गिफ्ट दे चुके हैं। जब उन्होंने बॉलीवुड शहंशाह अमिताभ बच्चन को भी एक अनोखा उपहार दिया तो वह भी उनके फैन हो गए। सेलिब्रिटीज से मिलते-मिलते काम में निखार आता गया। आज बुद्धसेन विश्वकर्मा लकड़ी के खूबसूरत मंदिर बनाने के लिए मशहूर हैं। बुद्धसेन  विश्वकर्मा ने वनइंडिया हिंदी से बातचीत में बताया कि हम एक भाई और एक बहन ही थे। मेरी 5 संताने है। 4 बेटे और 1 बेटी है। दूसरे नंबर का बेटा उनके जैसे ही लकड़ी की कलाकारी का कार्य करता है। बड़ा बेटा और 2 छोटे बेरोजगार हैं। सरकार की तरफ से मदद का आश्वासन मिलता रहा है। पर मिला आज तक कुछ नहीं। मेरी कलाकारी देखकर 1 भले आदमी ने घर देकर रखा है, उसी में रहकर जीवन यापन कर रहा हूं।

Kolar News 5 July 2022

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