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कोलार में नहीं दिख रही फॉगिंग मशीन
शहर में हर दिन 10 से 15 मरीज डेंगू और चिकनगुनिया के मिल रहे हैं। 50 से ज्यादा मरीज सरकारी और निजी अस्पातलों में भर्ती हैं। 400 से ज्यादा घरों में डेंगू के लार्वा मिल रहे हैं, लेकिन लार्वा मिलने पर घरों में कार्रवाई नहीं हो रही है। दूसरी बार किसी घर में लार्वा मिलने पर 500 रुपए तक जुर्माना करने का प्रावधान है। कोलार, साकेत नगर, नेहरू नगर आदि क्षेत्रों में कई घरों में लार्वा मिलने के बाद भी जुलाई से अब तक साकेत नगर के 9 व नेहरू नगर के 6 मकान मालिकों पर जुर्माना किया गया।
महीने भर पहले सभी की एक बैठक में महापौर आलोक शर्मा ने कहा था कि लार्वा सर्वे करने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ नगर निगम के 25 कर्मचारी रहेंगे। दूसरी बार लार्वा मिलने पर ये मकान मालिकों पर जुर्माना करेंगे। इसके बाद भी निगम के कर्मचारी नहीं जा रहे हैं। मंगलवार को साकेत नगर इलाके में कुछ कर्मचारी गए थे, लेकिन उनके पास जुर्माना करने के लिए रसीद बुक ही नहीं थी।
राजधानी की अलग-अलग लैब में डेंगू के 84 संदिग्धों की जांच की गई। इसमें 24 मरीज डेंगू पॉजीटिव मिले हैं। इसमें 9 मरीज भोपाल के हैं। इसी तरह से चिकनगुनिया के 20 मरीजों की जांच में 6 पॉजीटिव मिले हैं। इसमें 5 भोपाल के हैं। साकेत नगर में चिकनगुनिया के 4 मरीज मिले हैं।
निगम अधिकारियों के पास शहर के 85 वार्डों में डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने कीटनाशक छिड़काव का कोई एक्शन प्लान तक नहीं है। केवल रहवासी और पार्षदों की डिमांड पर छिड़काव का काम चल रहा है। उसके बाद भी हालात ऐसे हैं कि मैदानी अमला छिड़काव के बहाने धुंआ उड़ाकर खानापूर्ति कर रहा हैं। संकरी गली-कूचे में गंदगी से रहवासी परेशान हैं। मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ा है। स्थिति यही रही तो डेंगू जैसी बीमारी कंट्रोल से बाहर हो जाएगी।
निगम के अधिकारी 85 वार्डों में आम नागरिकों की डिमांड पर छिड़काव करवा रहे हैं। जबकि सीएम हाउस, मंत्री और विधायकों के बंगले के आसपास रोजाना 2 घंटे छिड़काव हो रहा है। रविवार को नवदुनिया के सर्वे में यह हकीकत पता चली। अमला शाम को सीएम हाउस के आसपास कीटनाशकों का छिड़काव करते दिखा, लेकिन राजधानी के बाकी हिस्सों में कहीं भी टीम नहीं पहुंची।
इधर कीटनाशकों के छिड़काव पर राजधानी के सभी 19 जोन में चल रहे वाहनों की लॉक बुक बराबर मेंटेन की जा रही हैं। 30 से 35 सफाई कर्मचारियों का अमला भी लगा दिया है। स्वच्छता निरीक्षक भी इसी के नाम पर लगे हुए हैं, लेकिन आउटपुट कुछ नहीं। मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ा हैं। खासकर डेंगू जैसी बीमारी को कंट्रोल करने में नाकाम साबित हुए हैं।
निगम प्रशासन सिर्फ नाम के लिए फॉगिंग कर रहा है। जोन-14 की फॉगिंग मशीन खराब है। जैसे-तैसे जोन के स्वास्थ्य अधिकारी ने सोमवार शाम 6ः30 बजे से लिंक रोड-3 स्थित नगर निगम के डीजल पंप से फॉगिंग गाड़ी मंगाई। इसके बाद भी ठीक तरह से फॉगिंग नहीं हो सकी। अधिकारियों के पास कोई प्लान नहीं था कि कब, कहां और कैसे कर्मचारियों से फॉगिंग करनी थी। साकेत नगर ए और बी में तीन से चार जगह गाड़ी गई। दिखाने के लिए धुंआ छोड़ा गया। कर्मचारियों के मुताबिक शिकायत करने के बाद ही फॉगिंग करने जाते हैं। कोई तय समय नहीं रहता। उन्होंने यह भी बताया कि डेंगू व मलेरिया के मच्छरों को नष्ट करने के लिए 6 से 7 बजे का समय रहता है। पता होने के बाद भी कॉलोनियों रात 7ः30 से 9ः30 बजे फॉगिंग की जा रही है।
कोलार में नहीं दिख रही फॉगिंग मशीन
शहर में कोलार क्षेत्र में डेंगू व मलेरिया फैलता है। पिछले सालों में डेंगू से मरने वाले लोगों में कोलार के लोगों की संख्या ज्यादा रही है। बावजूद इसके यहां की कॉलोनियों में सुबह-शाम फॉगिंग करते हुए नगर निगम कर्मचारी नहीं दिख रहे हैं। यहां रहवासियों की शिकायतों के बाद भी वार्ड-80,81,82,83,84 वार्डों की 100 से ज्यादा कॉलोनियों में से एक में भी कॉलोनी में फॉगिंग करते कर्मचारी नहीं दिखे।
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