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कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है शहड़ोल प्रेरणा फाऊंडेशन के उन बच्चों जो अब शहड़ोल से पढ़ाई कर देश के अलग अलग हिस्से में पढ़ लिख कर काबिल बन गए है। ये नेत्रहीन बच्चे सामान्य बच्चो की तरह न केवल मोबाइल आपरेट करते है बल्कि मैसेज भी पढ़कर मोबाइल में बात चीत करते है । ऐसे 21 बच्चों ने आज शहड़ोल में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर गीत, संगीत के साथ साथ योग कर चेस गेम का जबरदस्त प्रदर्शन किया। जो बच्चे आंखों से देख नहीं सकते, उनके इन कारनामो को देखकर लोग दंग रह गए । उनकी इस काबलियत के पीछे प्रेरणा फाउंडेशन की संचालिका मधुश्री राय का हाथ है। जो खुद भी दिव्यांग होते हुए जिले में नेत्रहीन बच्चों को ढूंढकर उन्हें निःशुल्क शिक्षा देकर उस मुकाम तक पहुचाने का काम कर रही है।
शहड़ोल जिले में इनदिनों नेत्रहीन बच्चे प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर देश के अलग अलग हिस्से में उच्च शिक्षा ग्रहण कर अलख जगा रहे है। नेत्रहीन होने के बावजूद बच्चों मोबाइल, कम्यूटर, गीत संगीत, योग, चेस जैसे गेम खेल रहे है । इतना ही नही सामान्य बच्चो की तरह बर्ताव कर रहे है । यह बात थोड़ी अटपटी लग सकती है, लेकिन यह बात बिल्कुल सच है। दरअसल शहड़ोल की रहने वाली मधु श्री राय ने एक एक्सीडेंट में अपना एक पैर खो दिया ,जिसके बाद से उन्होंने प्रेरणा फाउंडेशन के माध्यम से जिले के नेत्रहीन बच्चो को ढूंढ कर उन्हें अपने पास रखकर निःशुल्क 1 से 8 तक की शिक्षा ग्रहण कराया, जिसके बाद उनके ऐसे कई बच्चे ऐसे है जो देश के अन्य राज्य में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ नौकरी कर रहे है । अपना एक मुकाम हासिल कर दुसरो के लिए प्रेरणा शाबित हो रहे है। प्रेरणा फाउंडेशन द्वारा जिले में एक कार्यक्रम आयोजित किया , जिसमे उनके द्वारा पढ़ाए हुए 21 नेत्रहीन उन बच्चो ने भाग लिया जो अब देश के अन्य हिस्से में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है,तो कुछ नौकरी कर रहे है । ये बच्चे बड़ी ही बेबाकी के साथ मोबाइल, कम्यूटर, गीत संगीत, योग, चेस जैसे गेम प्रदर्शन किया।
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