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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्टेट ओपन स्कूल एजुकेशन बोर्ड और पंडित लज्जा शंकर झा शासकीय मॉडल स्कूल के प्राचार्य को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। पूछा है कि जब एक स्टूडेंट ने प्रवेश परीक्षा पास कर ली है तो फिर उसे सीट आवंटित क्यों नहीं की गई। सुनवाई की तारीख 5 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता छात्र ने नौवीं में प्रवेश के लिए जिला स्तरीय उत्कृष्ट विद्यालय व मॉडल स्कूल के लिए प्रवेश परीक्षा वर्ष 2022-23 पास की व उसे पंडित लज्जा शंकर झा शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक उत्कृष्ट विद्यालय आवंटित भी किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एनएस रूपराह बताया कि जब वह प्रवेश लेने मॉडल स्कूल गया तो उसे बताया गया की भले ही उसने प्रवेश परीक्षा पास कर ली है, परन्तु उसके आठवीं में डी ग्रेड है, अतः उसे प्रवेश नहीं दिया जा सकता। अधिवक्ता एनएस रूपराह ने दलील दी कि नियम है कि आठवीं की परीक्षा 33 प्रतिशत के अंकों से पास करनी चाहिए और डी ग्रेड का मतलब है की उसने 33-39 प्रतिशत अंक लिए हैं। बहस सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अगर यह बात है तो याचिकाकर्ता पंडित लज्जा शंकर झा शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक उत्कृष्ट विद्यालय जबलपुर शाला में प्रवेश पाने के लिए पात्र है।
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि विद्यार्थी की आठवीं में डी-ग्रेड है और डी-ग्रेड वालों को एडमिशन देने का प्रावधान नहीं है तो फिर प्रवेश परीक्षा में शामिल करने का प्रावधान क्यों बनाया। उसे प्रवेश परीक्षा में ही अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए था। नियम बनाने वाले और प्रवेश परीक्षा आयोजित करने वाले, सब अधिकारी मिलाकर मध्यप्रदेश शासन ही होता है ना। कहीं ऐसा तो नहीं कि इस प्रकार के नियम इसलिए बनाए जाते हैं ताकि विद्यार्थियों को परेशान किया जा सके और सीट आवंटित करने के बदले रिश्वत ली जा सके।
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