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तंबाकू उत्पादों पर सबसे टैक्स होने के बावजूद इनकी खपत लगातार बढ़ती जा रही है। बदलते दौर के साथ अब सिगरेट का चलन ज्यादा बढ़ रहा है। इसके बाद गुटखा, पान मसाला, बीड़ी, खैनी आदि का नंबर आता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भोपाल में रोजाना 2 करोड़ रुपए से अधिक के तंबाकू उत्पाद बिक जाते हैं। मप्र में ये आंकड़ा 12 करोड़ से अधिक हुआ है। स्वास्थ्य एवं टैक्स से जुड़े लोगों से जानना चाहते है ,की आखिर तंबाकू एवं इससे जुड़े उत्पादों की क्या स्थिति है। सर्वाधिक टैक्स होने के बावजूद इन उत्पादों की खपत में कमी आई या नहीं। खपत के आंकड़े बताते हैं कि तंबाकू एवं इससे बनने वाले उत्पादों की खपत में कमी नहीं आई है, बल्कि तेजी आई है। लोग बड़े चाव से तम्बाकू खा रहे है। और युवा को शराब को ज्यादा चाह है जिसकी वजह से देश में शराब बहुत ज्यादा बिक रही है। बाजार में नए-नए फ्लेवर के तंबाकू युक्त गुटखों की खपत तेजी से बढ़ी है। सिगरेट की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी है। व्यापारियो का कहना है कि ग्रामीण स्तर पर पहले जहां तंबाकू , बीड़ी का चलन ज्यादा हुआ करता था, वहां अब महंगी सिगरेट के साथ तंबाकू युक्त पाउच ज्यादा उपयोग होने लगे है।
तंबाकू, सिगरेट आदि पर 28 प्रतिशत टैक्स लगता है, जो अन्य सामानों से सबसे ज्यादा है। सरकार एक तरफ तो हर साल तंबाकू निषेध दिवस (31 मई) को बनाती है। वहीं दूसरी तरफ सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स इन्हीं उत्पादों से मिलता है। सिगरेट पर लंबाई के हिसाब से टैक्स निर्धारित है। सीए मृदुल आर्य कहते हैं कि तंबाकू-सिगरेट आदि के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। इससे सरकार के खजाने में भी इजाफा हो रहा है। टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार को सालाना एक से डेढ़ हजार करोड़ रुपए का टैक्स उत्पादों पर मिलता है।
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