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भोपाल। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने के लिए ईमानदारी से प्रयास किए है। माननीय न्यायालय ने मंगलवार को जो अंतरिम फैसला सुनाया है, हम विधि विशेषज्ञों के साथ उसका अध्ययन कराएंगे और आगे के कदम उठाएंगे। हम चाहते हैं कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ संपन्न हो, इसलिए ओबीसी आरक्षण के लिए मोडिफिकेशन में जाएंगे।
शर्मा ने कांग्रेस नेताओं से सवाल किया कि जब कांग्रेस सरकार में थी और पंचायत चुनाव कराने की जिम्मेदारी उनकी थी, तब 27 प्रतिशत आरक्षण के लिए कांग्रेस सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराने के प्रयास क्यों नहीं किए? कांग्रेस ने यह सब न करते हुए योजनाबद्ध तरीके से चुनाव में व्यवधान डालने का काम किया। कांग्रेस के नेता इस चुनाव को सुप्रीम कोर्ट तक ले गए। जिसके कारण आज यह स्थिति बनी है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश से कांग्रेस के उन नेताओं के कलेजे को ठंडक तो मिली होगी, लेकिन भाजपा उनके षडयंत्र को फलीभूत नहीं होने देगी।
विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि भाजपा की सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मूलमंत्र पर काम करती है। ओबीसी समाज को उसके राजनैतिक अधिकार मिले इस दिशा में भाजपा सरकार प्रतिबद्ध है। आज कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को लेकर घडियालें आंसू बहा रही है, उस समय यह कांग्रेस कहां थी? जब पंचायत चुनाव की घोषणा हो गयी थी, तब उसने व्यवधान डालने की कांग्रेस को क्या जरूरत पडी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती कि पिछड़ा वर्ग और अन्य पीछे रह गए समाजों को राजनैतिक और आर्थिक बराबरी का अधिकार मिले। और इसके लिए कांग्रेस ने हमेशा इस वर्ग के साथ धोखा किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की जालसाजी का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि जब उनकी सरकार अपने विधेयक में मध्यप्रदेश के पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 27 प्रतिशत बताती है, जबकि राज्य में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 51 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस पार्टी की सरकार विधेयक में धोखा दे सकती है उससे किसी भी प्रकार की इंसाफ की बात करना बेमानी है। अपनी इस नियत के कारण कांग्रेस ने पंचायत चुनाव के बहाने पिछड़ा वर्ग के अरमानों को कुचलने का प्रयास किया है।
शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जवाब देना चाहिए कि 8 मार्च 2019 को 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के तत्कालीन सरकार फैसले पर जब 10 मार्च को याचिका लगी तब 10 से 19 मार्च तक उनकी सरकार ने कोर्ट में अपना एडवोकेट जनरल तक खड़ा क्यों नहीं किया? उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण पर रोक लगाने के खिलाफ कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील तक नहीं की। इस धोखे के लिए कांग्रेस और कमलनाथ को प्रदेश में ओबीसी वर्ग से माफी मांगना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचारी, लूटपाट करने वालों की पार्टी रही है। इसने कभी भी किसी भी वर्ग का भला नहीं सोचा है।
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