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भोपाल। मप्र पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 15 दिन के भीतर बिना अरक्षण पंचायत एवं नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करने के प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही पिछले लंबे समय से ओबीसी आरक्षण को लेकर अधर में लटके पंचायत चुनाव का रास्ता अब साफ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि मध्यप्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के ही स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे। ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है। अधूरी रिपोर्ट होने के कारण मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को चुनाव में आरक्षण नहीं मिलेगा। इसलिए अब स्थानीय चुनाव 36प्रतिशत आरक्षण के साथ ही होंगे। इसमें 20प्रतिशत एसटी और 16प्रतिशत एससी का आरक्षण रहेगा। जबकि, शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव 27प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ कराने की बात कही थी। इसीलिए यह चुनाव अटके हुए थे।
कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को दो हफ्ते में अधिसूचना जारी करने को कहा है। कोर्ट ने ये भी कहा कि पिछले दो साल से स्थानीय निकायों के करीब 23 हजार पद खाली पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार को फटकार लगाई है। 5 साल में चुनाव कराना सरकार की जिम्मेदारी है जिससे वे भाग नहीं सकती। आरक्षण के ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और समय नहीं दिया जा सकता।
सीएम शिवराज ने दी प्रतिक्रिया
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हमने आदेश नहीं देखा है। प्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके लिए हम कोर्ट में रिव्यू याचिका दायर करेंगे। इसके साथ ही हम फिर से आग्रह करेंगे कि स्थानीय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही हो।
बता दें कि मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश में ओबीसी की 45 फीसदी जनसंख्या को देखते हुए 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की थी। इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश में पंचायत चुनाव का मामला अटक गया था। मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था।
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