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शहर के नेशनल अस्पताल में 14 साल की लड़की को तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखकर इलाज किया गया। इसके बाद उसकी मौत पर परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप है कि बेटी को जब अस्पताल लाया गया। उस समय डॉक्टरों ने जांच के बाद वेंटिलेटर लगा दिया। बिल बढ़ाने के लिए डॉक्टर तीन दिन तक बेटी का इलाज करते रहे। बार-बार पूछने पर भरोसा दिलाते थे कि कोई चमत्कार हो सकता है। हर दिन 20 से 25 हजार की दवाएं खरीद गईं। 2 लाख का बिल बना दिया। इधर, अस्पताल प्रबंधन ने इलाज में किसी प्रकार की कमी नहीं करने की बात कही है।
बावड़िया कला निवासी 14 साल की अनुष्का मीना को 10 तारीख को सुबह पेट में तेज दर्द के बाद पिता ललिता प्रसाद यश अस्पताल लेकर पहुंचे थे। यहां से उनको नेशनल अस्पताल भेज दिया गया। यहां पर पहुंचने पर डॉक्टरों ने अनुष्का की आंखों और पल्स की जांच के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया। पिता का कहना है कि बेटी को भर्ती करते ही वेंटिलेटर पर रख दिया गया। मंगलवार को जब वेंटिलेटर हटाने और बेटी के इलाज की डिटेल मांगी तो डॉक्टरों ने देने से इंकार कर दिया। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ पीके पांडे का कहना है कि हर संभव प्रयास किए गए। लेकिन बच्ची को नहीं बचाया जा सका। एेसे मामले में पहले भी सात लोग यहां से ठीक होकर जा चुके हैं। लापरवाही का तो सवाल ही नहीं।
अनुष्का 13 तारीख यानि मंगलवार को 14 साल की हो गई। उसके पिता ललिता प्रसाद ने बताया कि उसकी मां अर्चना मीना ने प्लानिंग की थी कि बेटी की जन्मदिन के बाहर खाना खाएंगे और घूमने जाएंगे। लेकिन ऐसा हो न सका।
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