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बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के जंगलों की आबोहवा बाघों को अपनी ओर आकर्षित करती है। बाघों का गाहे-बगाहे जिले के जंगल में मूवमेंट बना रहता है और यही वजह है कि शिकारियों की पैनी नजर भी इन बाघों पर गड़ी रहती है जिससे वह मौका पाते हुए शिकार करने से नहीं चुकते हैं। गत पांच साल में चार बाघों की मौत हो चुकी है। वहीं यदि शिकार की बात करें तो वर्ष 2017 में एक बाघर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि बैतूल से आठ किमी दूर राठीपुर के जंगल से आठ अप्रैल को चार साल के घायल बाघ को रेस्क्यू कर वन विहार नेशनल पार्क में शिफ्ट किया गया था। बाघ की हालत देख वन विहार की (2017) तत्कालीन डायरेक्टर समिता राजौरा के निर्देश पर तीन डॉक्टरों ने बाघ का इलाज किया। डॉ. अतुल गुप्ता, डॉ. अमोल वरवड़े सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डॉ. गुरुदत्त शर्मा ने बाघ को दोबारा ट्रेंकुलाइज कर एक्सरे किया। एक्सरे में बाघ के पेट, सीने और जांघ में गोली लगने के निशान मिले। वन विहार की डायरेक्टर ने इसकी रिपोर्ट स्टेट वाइल्ड लाइफ और एसटीएफ (स्टेट टाइगर फोर्स) के अधिकारियों को दी थी।
एक्सरे रिपोर्ट के मुताबिक गोली लगने से बाघ की जांघ और रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। दायां पैर भी टूटा हुआ था, जबकि बायां पैर पूरी तरह जख्मी हो गया था। उसकी पसलियों में भी चोट थी। घायल होने के कारण वह कई दिनों से भरपेट डाइट नहीं ले रहा था, जिसके कारण पेट की आंत तेजी से सूख रही थी। गोली लगने के कारण पिछला हिस्सा लकवाग्रस्त हो चुका था। ऑपरेशन के बाद बाघ की जांघ और पेट के बीच गोली मिलने की पुष्टि होने के बाद स्टेट टाइगर फोर्स (एसटीएफ) के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर), पेंच टाइगर रिजर्व और बैतूल, शाहपुर, इटारसी के आसपास पूर्व में बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों के शिकार में पकड़े गए आधा दर्जन आरोपियों को दबोचा गया था।
2 अगस्त 2021 आठनेर में हुआ था शिकार
2021 से तीन साल पहले आठनेर खंड के वन ग्राम छिन्दवाड़ा में एक बाघ को जहर देकर मारा गया था। यह सनसनीखेज खुलासा महाराष्ट्र के नागपुर में बाघ की खाल और पंजों का सौदा करते पकड़े गए छिन्दवाड़ा निवासी एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद हुआ था, जिसके बाद टीम ने बैतूल के आठनेर इलाके से दो लोगों को गिरफ्तार किया था। मुलताई पांढुरना- महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश वन विभाग की टीम ने आठनेर के वन ग्राम छिंदवाड़ पोस्ट हिडली से बाघ को जहर देकर मारने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें एक पांढुरना और दो आरोपी मुलताई वन अनुभाग के आठनेर क्षेत्र के शामिल थे।
चार पंजे किए थे बरामद
मामले की जांच महाराष्ट्र वन विभाग की टीम कर रही थी, जिसने आरोपियों से बाघ के चार पंजे और खाल बरामद किए थे। बाघ की खाल और पंजों को फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया था। मुलताई वन अनुभाग के आठनेर बीट में वन ग्राम छिंदवाड़ में बाघ को जहर देकर मारा गया था, जिसके पंजे और खाल को आरोपियों का मामा मोतीलाल सलामे जो कि पांढुरना विकासखंड के बिछुआ सहानी ग्राम का निवासी है, नागपुर में बेचने का प्रयास कर रहा था।
खाल भी की थी जब्त
नागपुर वन विभाग को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने पांढुरना के ग्राम बिछुआ सहानी मे मोतीलाल सलामे को गिरफ्तार किया। सलामे के खेत में बने कोठे से बाघ की खाल एवं बाघ के पंजे बरामद किए गए। सलामे की निशानदेही पर पांढुरना एवं मुलताई वन विभाग के सहयोग से मुलताई वन अनुभाग के आठनेर क्षेत्र के वन ग्राम छिंदवाड़ से रामदेव मर्सकोले एवं रामभाऊ मर्सकोले को बाघ की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
बाघ को मारकर गाड़ दिया था गड्ढे में
बाघ की हत्या के आरोप में पकड़ाए आरोपियों ने जो जानकारी वन विभाग के अमले को दी थी। तीन साल पहले बाघ ने वन ग्राम छिंदवाड़ा में एक गाय का शिकार कर लिया था और बाघ की प्रवृत्ति होती है वह शिकार करने के बाद दूसरी बार अपने शिकार को खाने जरूर आता है। बाघ जब शिकार करने के बाद लौट गया, तब आरोपी रामदेव मर्सकोले एवं रामभाऊ मर्सकोले ने शिकार पर जहरीला पदार्थ डाल दिया, जिसके कारण बाघ की मौत हो गई। आरोपियों ने बाघ को गड्ढे में गाड़ दिया, बाद में उसकी खाल एवं पंजे निकाल लिए गए, जो कि पांढुर्णा से बरामद किए गए थे।
ट्रेन से टकराकर हुई थी शावक की मौत
11 मई 2021 को बैतूल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के एक बाघ शावक की ट्रेन से टकराकर मौत हो गई। बैतूल के भौरा के पास रेलवे लाइन के किनारे इस शावक की लाश बरामद की गई। डेढ़ साल के इस नर बाघ शावक को लेकर आशंका थी कि यह यह अपनी मां के साथ इस इलाके में मौजूद रहा होगा, जो कि यहां से गुजरने वाली किसी ट्रेन की चपेट में आने से मौत का शिकार हो गया।
ट्रेक के बाजू में पड़ा मिला था शव
पोला-पत्थर ढोढरा मोहर स्टेशन के बीच किलोमीटर 791/09 डाउन रोड पर एक बाघ के मृत अवस्था में ट्रैक के बाजू में पड़ा होने की सूचना 02626 केरला के लोको पायलट द्वारा दी गई थी। जिसके बाद रेल प्रशासन ने वन विभाग को सूचित किया। इधर घटनास्थल भौरा के करीब होने की वजह से सुबह घूमने वालो ने भी रेल की पटरियों के किनारे इस शावक को मृत अवस्था में पड़ा देखकर वन अमले को जानकारी दी। तत्कालीन सीसीएफ बैतूल मोहन मीणा और सतपुडा टाइगर रिजर्व का अमला मौके पर पहुंचा और शव को बरामद कर पीएम की कार्रवाई की।
अब मिला शावक का शव
एक मई 2022 को एक बार फिर राठीपुर का जंगल ही बाघ शावक की मौत का गवाह बना। यहां शनिवार 30 अप्रैल को लापता बाघिन की तलाश करते हुए वन अमले को उसके शावक का शव मिला। महज 20 दिन के इस शावक की मौत भूख और गर्मी की वजह से होना माना जा रहा है।
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