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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को जन्म-दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री चौहान ने उनके स्वस्थ, प्रसन्न और दीर्घायु जीवन के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने ट्वीट में कहा है कि - "जन-सेवा और राजनीतिक शुचिता की प्रतीक हमारी दीदी उमाश्री भारती जी” को जन्म-दिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
उमा भारती का जन्म 3 मई, 1959 को टीकमगढ़, मध्यप्रदेश के एक लोधी राजपूत परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम उमा श्री भारती है और उनके समर्थक उन्हें दीदी के कह कर बुलाते हैं। उमा भारती को छोटी सी उम्र में ही गीता और रामायण कंठस्थ हो गई थी। जब अपनी बाल वाणी में रामायण की कथा और रामचरित मानस की चौपाइयों का सस्वर पाठ कर लोगों को उसका अर्थ समझाती तो लोग एक पल के लिए इस छोटी कन्या को देखते ही रह जाते थे। बचपन में उमा भारती के इतने अभूतपूर्व ज्ञान और प्रवचनों की वजह से लोग उनको दैवीय अवतार मानने लगे थे।
जब उमा भारती टीकमगढ़ जिले में 6ठी कक्षा में अध्ययन कर रही थीं तब वहां हुए एक अखिल भारतीय रामचरित मानस सम्मलेन में उन्होंने धाराप्रवाह प्रवचन दिया। लोग उमा भारती के विद्वतापूर्ण प्रवचन को सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। उमा भारती ने पांच साल की उम्र में ही प्रवचन करना शुरू कर दिया था, तब ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उमा भारती को एक बार प्रवचन करते हुए सुना। विजयाराजे उमा भारती के अभूतपूर्व ज्ञान और उनकी ओजस्वी छवि से काफी प्रभावित हुईं। इसके बाद उमा भारती राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सान्निध्य में रहने लगीं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही आगे चलकर उमा भारती की राजनीतिक संरक्षक बनीं।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने के बाद उमा भारती 1984 में पहली बार चुनाव लड़ीं, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 1989 के चुनावों में वे जीत गई। इसके बाद साल 1991 में पार्टी ने उन्हें खुजराहो लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और वह जीतकर संसद पहुंची। उमा इस सीट को जीतकर लगातार तीन बार संसद भवन पहुंची। इसके बाद उन्होने साल 1999 मं भोपाल सीट से चुनाव लड़ा और यहां से भी उन्होंने जीत हासिल की। वाजपेयी सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में रहीं। इसके बाद साल 2003 वे मध्य-प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं।
उनका विवादों से भी पुराना नाता रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ गलत बयान देने के कारण से उन्हें दो बार पार्टी से निलंबित किया गया । राम जन्म भूमि को बचाने के लिए उमा भारती ने कई प्रभावकारी कदम उठाए। उन्होंने पार्टी से निलंबन के बाद, भोपाल से लेकर अयोध्या तक की कठिन पद-यात्रा की। साध्वी ऋतंभरा के साथ मिलकर अयोध्या मसले पर उन्होंने आंदोलन शुरू किया। उमा भारती ने इस आंदोलन को एक सशक्त नारा भी दिया- राम-लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। जुलाई 2007 में रामसेतु को बचाने के लिए, उमा भारती ने सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के विरोध में 5 दिन की भूख-हड़ताल भी की। हिंदू धर्म से संबंधित अच्छी जानकारी और रुचि होने के कारण उमा भारती ने अपने विचारों को किताबों में संग्रहित किया है। उनकी अब तक तीन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
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