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रातापानी अभयारण की दास्तान
कोलर रोड से शुरू होने वाले रातापानी अभ्यारण में बाघों से आमना सामना होना कोई नई बात नहीं है लेकिन जिस तरह टाइगर फैमिली से सीमा राजगौड़ का सामना हुआ वो अनुभव कुछ अलग है । सीमा राजगौड़ डिप्टी रेंजर हैं ,ड्यूटी-रातापानी अभयारण्य की करमई बीट में है भाेपाल फॉरेस्ट सर्किल की इस इकलौती महिला डिप्टी रेंजर ने फील्ड में पहुंचकर बाघों की गतिविधियों की माॅनीटरिंग की कमान संभाली है और अक्सर एक बाघ फैमिली से उनका सामना होता रहता है।
सीमा बताती हैं - बात है 2 जून 2016 की है। श्रमिकों ने बताया था कि टाइगर का मूवमेंट हुआ है और शायद एक नहीं, कई टाइगर है। पानी के गड्ढे के पास कैमरा लगाया था। मैं और तीन श्रमिक उसे निकालने जा रहे थे पानी के गड्ढे वाली पगडंडी पर चल रहे थे कि देखा सामने से एक बघिन आ रही थी। उसके पीछे तीन माह के चार शावक थे।
सीमा बताती हैं मैं और बाघिन एक ही पगडंडी पर थे, ठीक आमने-सामने। बाघिन एक क्षण को ठिठकी। अचानक ही वह दहाड़ने लगी। इससे शावक उसके पीछे छिप गए ,मेरे साथ श्रमिक भयभीत थे। मैंने कहा- भागना मत। मैं अपनी जगह डटी रही बुत की तरह। उधर जैसे बाघिन जायजा ले रही थी कि हम लोग उसे और उसके शावकों के लिए नुकसान तो नहीं पहुंचा रहे..जब हमने रास्ता नहीं छोड़ा तो बाघिन ने पलटकर शावकों की अोर देखकर दहाड़ा। इस बार की दहाड़ पहले जैसी नहीं थी। जैसे वह आश्वस्त हो गई थी और उनसे कह रही हो कि डरो नहीं ये हमारे लिए खतरनाक नहीं है। इसके बाद वह पूंछ फटकारते हुए पास के झुरमुट में चली गई। हम बिना देरी किए हटे और पास खड़ी गाड़ी पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद हमने पाया कि बाघिन झुरमुट से निकलकर पानी के गड्ढे में बैठ गई और शावक खेलने में मस्त हो गए। इसके बाद हमारा अक्सर सामना बाघिन और उसके शावकों से होता रहा। मैं खुशनसीब हूं कि बाघों ने मेरे इलाके में होम टेरेटरी बनाई। उनके और मेरे बीच एक अजीब से रिश्ता बन गया है उन्होंने भी मेरी उपस्थिति काे स्वीकार कर लिया। इसी बीच मैंने उनके कई वीडियो बनाए और वरिष्ठ अधिकारियों को दिए।
2014 में प्रमोशन के बाद सीमा को करमई बीट सौंपी गई। हाल ही में बेहतर माॅनीटरिंग के लिए वन विभाग ने इन्हें अन्य बीट के नौ पुरुष साथियों को पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाने वाली इस टीम में सीमा इकलौती महिला हैं।
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