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उज्जैन।शनिवार को अमावस्या होने से उज्जैन के त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में शिप्रा स्नान पश्चात दर्शन का विशेष महात्म्य है। शनिश्चरी अमावस्या पर अंचलों से श्रद्धालु उज्जैन में त्रिवेणी पहुंचते हैं। इस बार यह आंकड़ा भीषण गर्मी के बावजूद 50 हजार के पार पहुंच गया।
इस बार यह संयोग रहा कि शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या का स्नान था वहीं 29 अप्रेैल को पांच दिन चलने वाली 118 किमी लम्बी पंचक्रोशी यात्रा का समापन हुआ। ऐसे में हजारों श्रद्धालु शनिश्चरी अमावस्या के स्नान के लिए उज्जैन ही रूक गए और 29 अप्रैल को पंचक्रोशी यात्रा पूर्ण करके,रामघाट पर शिप्रा स्नान करके त्रिवेणी पहुंच गए। शनिवार को अपरांह बाद तक स्नान करनेवालों का आंकड़ा 50 हजार पार कर गया था।
इंदौर मार्ग स्थित शनि मंदिर पर बने घाट को त्रिवेणी कहा जाता है। यहां देवास की ओर से शिप्रा नदी,इंदौर से कान्ह नदी और शास्त्रो में उल्लेखित सरस्वती नदी जोकि लुप्त हो चुकी है,का संगम था। अब कान्ह नदी का प्रदूषित पानी रोक दिया जाता है और देवास से इस ऋतु में शिप्रा के प्रवाहमान नहीं होने के कारण नर्मदा का पानी छोड़ा जाता है। सुरक्षा की दृष्टि एवं पानी की कमी के चलते घाटों पर फव्वारे लगाकर श्रद्धालुओं को शनिवार को स्नान करवाया गया। श्रद्धालुओं ने स्नान किया और जो कपड़े पहने थे,वे घाटों पर ही पनौति के रूप में छोड़ दिए। साथ ही जूते-चप्पल भी वहीं छोड़ दिए। रविवार को प्रशासन द्वारा यहां उक्त कपड़ों एवं जूते-चप्पलों की निलामी हमेशा की तरह की जाएगी।
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