Video

Advertisement


अल्टीमेट है अल्टीमेट कैंपस
kolar altimet

 

सोच, इच्छा और पर्यावरण के प्रति जागरुकता की वजह से लोग सजग हो रहे हैं और आने वाले भविष्य के लिए अभी से अपने आपको तैयार कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, कोलार के अल्टीमेट कैंपस के रहवासियों ने।पिछले दस सालों से पानी की समस्या से जूझ रहे नागरिकों ने कैंपस में बने बोर जो अक्सर सूख जाया करते थे, उनको बारिश के पानी से रीचार्ज करने की प्लानिंग की और सफलता हासिल की। वर्तमान में कालोनी में करीब 20 लाख लीटर पानी स्टोर होता है।

कैंपस के नागरिकों ने इस प्रोजेक्ट के लिए बाहर से निजी तौर पर कोई एक्सपर्ट को हायर नहीं किया, बल्कि आपसी तालमेल बनाकर खुद रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्रोजेक्ट का डिजाइन बनाया है। इसकी सफलता का श्रेय अल्टीमेट वेलफेयर सोसायटी कैंपस के समस्त नागरिकों को जाता है। प्रोजेक्ट को करीब 2 लाख रुपए की लागत से दो महीने में पूरा किया गया। गौरतलब है कि कैंपस में 05 ब्लॉक हैं, कुल 100 फ्लैट बने हुए हैं। ब्लॉकों में पांच बोर भी हैं, लेकिन इसके बावजूद पर्याप्त पानी नागरिकों को नहीं मिल पा रहा था। कैंपस के सभी ब्लॉकों को मिलाकर 60 हजार लीटर पानी की जरूरत रोजाना है।

पांच बोर में से एक बोर देता है पानी। 500 फीट पर आकर बोर सूख जाते हैं। इस कारण टैंकर बुलाने पड़ते थे। उसका खर्च प्रति माह करीब 60 हजार रुपए आता था। इसके चलते सोसायटी ने मई में आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग में निर्णय लिया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए। इस काम के लिए अध्यक्ष डॉक्टर जेसी पालीवाल ने छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें रवि गलकाटे, मनीष श्रीवास्तव, अरुण जोशी, अखिलेश पंडया, सचिन अदलख, दिनेश सयानी।

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत कैंपस निवासी रवि गलकाटे ने इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनके मार्गदर्शन में कैंपस में लो बजट तैयार सिस्टम लगाया गया। सिस्टम को लगाने का प्लान और बजट इन्होंने तैयार किया। प्रोजेक्ट के सुपरवाइजर राजेश ढाकरे ने एक-एक काम प्लानिंग के मुताबिक करवाया है।

कैंपस के सभी ब्लॉक से बारिश के पानी को डायरेक्ट इंजेक्ट टैक्नोलॉजी के जरिए पहुंचाया जा रहा है। खास बात यह है कि सब जगह फिल्टर के माध्यम से पानी बोर में जाता है। बताया जा रहा है कि लोसेस 30 प्रतिशत होने के बाद भी 12.52 लाख लीटर पानी को उपयोग किय जा सकता है।अल्टीमेट वेलफेयर सोसायटी आसपास बने कैंपस को तकनीकी सहायता देने के लिए तैयार है। समिति ने इसके लिए आसपास के कैंपस वालों से बात भी करना शुरू कर दिया है। बोर से पानी जमीन में जा रहा है यह पानी किसके काम आएगा यह तो कोई नहीं जानता।

कैंपस के सभी ब्लॉक से बारिश के पानी को डायरेक्ट इंजेक्ट टैक्नोलॉजी के जरिए पहुंचाया जा रहा है। खास बात यह है कि सब जगह फिल्टर के माध्यम से पानी बोर में जाता है। बताया जा रहा है कि लोसेस 30 प्रतिशत होने के बाद भी 12.52 लाख लीटर पानी को उपयोग किय जा सकता है।

अल्टीमेट वेलफेयर सोसायटी आसपास बने कैंपस को तकनीकी सहायता देने के लिए तैयार है। समिति ने इसके लिए आसपास के कैंपस वालों से बात भी करना शुरू कर दिया है। बोर से पानी जमीन में जा रहा है यह पानी किसके काम आएगा यह तो कोई नहीं जानता।

बहुत कम खर्च में यह सिस्टम कैंपस में लगाया गया है। इस सिस्टम को लगाने में कैंपस के हर नागरिक ने पूरा सहयोग किया है। कोलार में शायद इतना बढ़ा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम किसी और कैंपस में नहीं लगा होगा। इस सिस्टम के जरिए जो पानी जमीन में जा रहा है। 

 

Kolar News 10 September 2016

Comments

Be First To Comment....

Page Views

  • Last day : 8796
  • Last 7 days : 47106
  • Last 30 days : 63782
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.