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बैतूल। पेड़ों को बचाने के लिए इस बार शहर में अधिकांश जगह गोबर की लकड़ी (गौ काष्ठ) की होली जलेगी। पेड़ों को कटने से रोकने तथा पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए त्रिवेणी गौशाला ने यह निर्णय लिया है। शहर के 100 होलिका दहन समितियों को निशुल्क गोबर की लकड़ी देने का ऐलान किया था। अब तक 85 होलिका दहन समिति को गोबर की लकड़ी दी जा चुकी है। इन स्थानों पर गोबर की लकड़ी की होली जलाई जाएगी, लेकिन समिति की एक मात्र शर्त है कि जिन्हें गोबर की लकड़ी दी जाएगी, वहां लकड़ी नहीं जलाई जाएगी। इसकी जांच समिति के सदस्य करेंगे।
इसके अलावा शहर में अन्य जगह भी गोबर के कंडे की होली जलाने का संकल्प लिया जा रहा है। कलार समाज के लोगों ने भी पत्तों और कंडों की होली जलाने का संकल्प लिया है। समिति के सदस्य दीपक कपूर, मनीष ठाकुर ने बताया कि लोग हरे भरे पेड़ काटकर होली जलाते हैं, इसे देखकर पेड़ों को बचाने के लिए गौशाला समिति होली समिति को गोबर की लकड़ी (गौ काष्ठ) देने का फैसला लिया। सदस्यों का मानना है कि गोबर जलने से पर्यावरण शुद्धिकरण होता है, इसलिए यह संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि होलिका दहन पर हर साल लोग हरे पेड़ काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है। वहीं जंगल भी नष्ट करते है। इसलिए यह अहम निर्णय लिया।
प्रत्येक समिति को 40 किलो गोबर की लकड़ी
त्रिवेणी गौशाला समिति एक जगह होलिका दहन के लिए दो बोरे यानी 40 किलो गोबर की लकड़ी निशुल्क दे रही है। समिति के सदस्य दीपक कपूर ने बताया कि वन व पर्यावरण संरक्षण के लिए गौशाला द्वारा शहर की 100 होलिका दहन समिति को दो बोरे गोबर से बनी लकड़ी देने का निर्णय लिया था। निशुल्क गोबर की लकड़ी देने के लिए शहर के गंज, सदर और कोठीबाजार के मोतीवार्ड में सेंटर बनाए थे। इन सेंटरों से अब तक 85 समिति के सदस्यों ने गोबर की लकड़ी ली है। उन्होंने बताया कि समिति का यह अभियान बेहद सफल रहा।
समिति के 5 सदस्य दे रहे गोबर की लकड़ी, कर रहे पंजीयन
कपूर ने बताया कि गोबर की लकड़ी को लेकर लोगों में उत्साह है। शहर में होलिका दहन समिति के लोग बड़ी संख्या में गोबर की लकड़ी लेने के लिए पहुंच रहे हैं। होलिका दहन समिति के पांच सदस्यों के मोबाइल नंबर और नाम नोट करा रहे हैं। इसके अलावा उनका पंजीयन करवाकर ही गोबर की लकड़ी दी जा रही है ताकि इसका दुरुपयोग न हो।
कलार समाज ने लिया कंडों की होली जलाने का संकल्प
इधर शहर में कलचुरी कलार समाज ने इस बार कंडों से होली दहन करने का संकल्प लिया है। समाज के जिलाध्यक्ष प्रेमशंकर मालवीय ने बताया कि हर साल सैकड़ों हरे भरे पेड़ों को होलिका दहन के नाम पर काट दिए जाते हैं, जबकि पेड़ों का न काटकर कंडे से होली जलाकर पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है और पर्यावरण को भी सुरक्षित किया जा सकता है। वैज्ञानिक आधार पर माना जाता है कि कंडे की होली जलाना शास्त्र सम्मत भी है। यह त्यौहार हमारी संस्कृति और धार्मिक मान्यता का प्रतीक है। इसलिए हम सभी को कंडे की होलिका दहन करनी चाहिए।
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