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डेम के गेट बंद करवाये तब हुआ रेस्क्यू
'दोपहर में काम कर रहा था। इसी दौरान बचाओ-बचाओ की आवाज सुनाई दी। बाहर आया तो देखा कृष्णा डूब रहा है। मुझे तैरना आता है, इसलिए मैं उसे बचाने के लिए कूद गया, लेकिन बहाव तेज होने के कारण मैं भी बहने लगा। काफी कोशिशों के बाद भी तैर नहीं पा रहा था। ऐसे में मैंने कृष्णा के पास झाड़ियों को पकड़ लिया। हम दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे। लोग किनारे पर खड़े होकर अपने प्रयास कर रहे थे, लेकिन समय बढ़ने के साथ ही हमारा हौंसला भी टूटने लगा था।
पानी के बहाव के कारण हाथ-पैर शिथिल होने लगे थे। मौत सामने ही दिख रही थी, लेकिन हमने मौत को मात दे दी। मुझे खुशी है कि मेरा दोस्त और रस्सी टूटने के कारण पानी में गिरे इस्लामउद्दीन जी की भी जान बच गई।' यह कहना है कि कोलार दामखेड़ा ए-सेक्टर में रविवार दोपहर कलियासोत नदी में फंसे अपने दोस्त को बचाने कूदे चंद्रशेखर का।
दरअसल, रविवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे दामखेड़ा निवासी 26 वर्षीय कृष्णा पिता राजेश पटेल नदी में नहाने के लिए उतरे। उस दौरान कलियासोत डेम के दो गेट खुले थे। तभी अचानक डेम का तीसरा गेट खुल गया और पानी का बहाव बढ़ने से कृष्णा बहने लगा। उसने किसी तरह नदी के बीच में झाड़ियों को पकड़ लिया। उसकी चीख-पुकार सुनकर उसका दोस्त और पड़ोसी 23 वर्षीय चंद्रशेखर पिता देहपाल ने उसे बचाने के लिए पानी में छलांग लगा दी। तैरना आने के बाद भी वह बहाव के साथ पानी के साथ बहने लगा। उसने भी दोस्त के साथ झाड़ियों का सहारा लिया। अब तक नदी किनारे सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोगों ने उनकी मदद के लिए रस्सी पहुंचाई, लेकिन दोनों को खींचने के दौरान रस्सी टूट गई और उसे पकड़े 45 वर्षीय इस्लामउद्दी भी पानी में गिर गए। जैसे-तैसे वह भी उनके नजदीक पहुंचे और झाड़ी पकड़ ली, तब जाकर लोगों की जान में जान आई। अब तक नगर निगम और पुलिस प्रशासन के साथ फायर ब्रिगेड अमला भी मौके पर पहुंच चुका था। रेस्क्यू टीम की मदद से बचाव कार्य शुरू हुआ। करीब घंटे भर तक बचाव दल ने प्रयास किए। पानी का बहाव तेज होने के कारण बचाव कार्य में दिक्कत आ रही थी। तभी मौके पर मौजूद अफसरों ने कलियासोत डेम के गेट बंद करवाए। थोड़ा पानी नीचे उतरा तो दोबारा बचाव कार्य शुरू किया गया। गोताखोंरों ने पानी में छलांग लगाकर पानी में फंसे युवकों को लाइफ जैकेट पहुंचाई। इसके बाद उन्हें रस्सी के सहारे बाहर निकाला जा सका।
सूचने मिलने के बाद कोलार फायर बिग्रेड प्रभारी पंकज खरे, गोताखोर अखिल वैष्णव, रॉबिन व फायर मेन शक्ति सिंह ने साहस व समझबूझ का परिचय देते हुए तीनों को डूबने से बचाया।
कृष्णा मैं नदी में नहाने गया था। उस समय ज्यादा पानी नहीं था। अचानक पानी का बहाव तेज हो गया। मैं घबरा गया। मेरे पैर पानी के तेज बहाव से उठने लगे। जैसे-तैसे जान बचाने के लिए झाड़ियों तक पहुंचा और चिल्लाने लगा। एक घंटे में कई बार सोचा अब नहीं बच पाऊंगा।
इस्लामउद्दीन ने बताया कृष्णा और चंद्रशेखर चीख रहे थे। रस्सी डाली गई, लेकिन वह टूट गई। मैं भी नदी में फंस गया। पानी के बहाव में मेरे हाथ-पैर कांप रहे थे। मौत को आज बहुत करीब से देखा। ऐसा लगा रहा था कि आज बस आखिरी दिन है। बचाव दल आने के आधे घंटे तक खुद ही जान बचाने के लिए जद्दोजहद करता रहा।
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