पहले से ही कलियासोत नदी में एक दर्जन से अधिक कॉलोनियों का सीवेज मिल रहा है। उस पर क्षेत्र के पार्षद नदी में स्टॉप डेम बनाना चाह रहे हैं। खास बात यह है कि बिना फिल्टर प्लांट के नदी में स्टॉप डेम बनाने की योजना तैयार की गई है। इससे पूरे क्षेत्र में चारों ओर सीवेज की दुर्गंध फैलेगी, साथ ही आसपास की कॉलोनियों में बीमारियां पनपेंगी।
इस बात से बेखबर पार्षदों ने बिना सोचे समझे इस प्रस्ताव को जोन समिति की औपचारिक बैठक के एजेंडे में शामिल कर लिया। इस प्रस्ताव को निगम मुख्यालय भेजा गया है। अब देखना यह है कि निगम क्या निर्णय लेता है।
हैरत की बात यह है कि प्रस्ताव पर किसी निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने आपत्ति नहीं उठाई। जबकि एनजीटी ने नदी में छोड़े जा रहे सीवेज को रोकने के लिए पूर्व में निर्देश जारी किए हैं।
इसके बावजूद क्षेत्र के जनप्रतिनिधि नदी के अंदर ही सीवेज को स्टाप डेम में एकत्र करने की योजना बन चुके हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञ इस योजना से सहमत नहीं है, उनका कहना है कि नदी में सीवेज को एकत्र करके उसे गटर बना दिया जाएगा।
स्टॉप डेम बनाने के लिए वाटर लेबल का दिया हवाला
क्षेत्र के पार्षदों ने वाटर लेबल को बनाए रखने के उद्देश्य से इस प्रस्ताव को जोन समिति की बैठक के एजेंडे में शामिल किया। इस प्रस्ताव को जोन समिति की बैठक में पार्षद मनफूल मीना, भूपेंद्र माली और रविन्द्र यति की सहमति से रखा गया है।
चूंकि उक्त पार्षदों के वार्ड से कलियासोत नदी निकली हुई है। इन पार्षदों का कहना है कि नदी में स्टॉप डेम बनाए जाने से वाटर लेबल वार्डों को सामान्य रखने की एक कोशिश है। क्षेत्र में वाटर लेबल की बात करें तो 1500 फीट तक पहुंच गया है। बोरिंग करने के दौरान एक इंच पानी भी बहुत मुश्किल से मिल रहा है। इसलिए क्षेत्र में स्टॉप डैम की जरूरत है। नदी इसके लिए एक अच्छा विकल्प नजर आ रही है।
कलियासोत नदी क्षेत्र के तीन वार्डों से निकली हैं। पहले वार्ड 80 का हिस्सा आता है। यहां साईं हिल्स, सर्वधर्म बी सेक्टर हैं। वार्ड 82 में नदी का छोर सर्वधर्म ए सेक्टर से शुरू होता है जो दानिशकुंज तक है। वार्ड 83 से नदी का छोर है जो सलैया से होती हुई आगे निकलती है नदी।
कलियासोत नदी में करीब एक दर्जन से अधिक कॉलोनियों का सीवेज मिलता है। मंदाकिनी कॉलोनी से होकर एक नाला निकला है, जो नदी में मिलता है। सर्वधर्म ए सेक्टर, सर्वधर्म बी सेक्टर, मंदाकिनी, शिरडीपुरम, सर्वधर्म सी सेक्टर, गणपति एन्क्लेव, दानिशकुंज, राजहर्ष एफ सेक्टर, अकबरपुर, नयापुरा, प्रियंका नगर, बैरागढ़ चीचली से होकर बरसाती नाला, जिसमें कॉलोनियों की सीवेज लाइनें जुड़ी है जिससे नदी में गंदगी मिल रही है।
ग्राउंड वाटर प्रदूषित होगा
एन जीटी ने 20 अगस्त 2014 को आदेश पारित किया गया था। उसके नदी के अंतर्गत 36 किलोमीटर के दायरे में किसी भी कॉलोनी के द्वारा सीवेज नहीं छोड़ा जा सकता है।
पर्यावरणविद सुभाष पण्डे कहते हैं -इसके बावजूद यदि बिना ट्रीटमेंट के सीवेज को छोड़ा जाता है और उसी पानी को रोकर डेम का निर्माण किया जाता है तो संग्रहित पानी से ना सिर्फ तमाम बीमारियों पैदा होंगी बल्कि उसके आसपास का ग्राउंड वाटर भी प्रदूषित हो जाएगा, जिसका कोई हल निकलना संभव नहीं होगा।