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कोलार ,टीटी नगर और होशंगाबाद रोड पर कटे सर्वाधिक पेड़
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भोपाल में  44 फीसदी कम हुई  हरियाली 
 
अनियोजित शहरीकरण के चलते राजधानी भोपाल में पिछले दो दशक में 44 प्रतिशत हरियाली कम हुई है, जिसका सीधा असर पयार्वरण में असंतुलन, गिरते जलस्तर और बढ़ते तापमान के रूप में सामने आ रहा है। हालांकि विकास कार्यों के फेर में लगातार हो रही पेड़ों की कटाई अगले कुछ वर्षों तक रूकने वाली नहीं है।भोपाल के  कोलार ,होशंगाबाद और टीटी  नगर इलाके में सबसे ज्यादा पेड़ काटे गए हैं। 
 
हरियाली में आई इस बड़ी गिरावट का खुलासा करने वाली इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु की रिपोर्ट बताती है कि हालात नहीं सुधरे तो 2030 तक हरियाली सिकुड़कर महज 4.10 प्रतिशत से कम रह जाएगी। पिछले दो दशक पहले हरियाली 66 प्रतिशत थी और अब ये 22 प्रतिशत रह गई है।
संस्था ने भोपाल, अहमदाबाद, हैदराबाद और कोलकाता की हरियाली के आंकड़े सेटेलाइट सेंसर से जुटाए हैं। राजधानी के विशेषज्ञों का भी कहना है कि पौधरोपण के साथ जल संरक्षण के उपायों को बढ़ाना पड़ेगा। हरियाली की कई जगह आज सूखे इलाकों ने ले ली है।
रिसर्च बताती है कि शहर के तापमान में पिछले 12 साल में आठ प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसकी बड़ी वजह जलस्रोतों पर हुए अतिक्रमण के चलते जलस्रोत में गिरावट और हरियाली में आई कमी है।
आईआईएफएम में समाज शास्त्र व सामुदायिक विकास के एसोसिएट प्रोफेसर अमिताभ पांडे का कहना है कि भोपाल में शहरीकरण को बढ़ावा हरियाली की कीमत पर दिया जा रहा है। वनाच्छादित क्षेत्र के कम होने की मुख्य वजह अनियोजित शहरीकरण है। हालात ज्यादा खराब होने से पहले हम खुद को बचा सकते हैं, क्योंकि भोपाल आज भी अन्य शहरों के मुकाबले हरियारली के मामले में बेहतर स्थिति में है, लेकिन जिम्मेदार विभागों, बिल्डर, टाउन प्लानर्स को टारगेट देकर उनके प्रोजेक्ट में हरियाली बढ़ाने को कहा जाए और इसका सख्ती से पालन कराया जाए।
प्रो. पांडे बताते हैं कि जहां पेड़ होने और न होने की जगहों के तापमान में 1-2 डिग्री से. का अंतर होता है। पेड़ घने हों, तो तापमान का अंतर बढ़ भी जाता है। जिन कांक्रीट के घरों पर पेड़ों की छांव रहती है, उनमें तपन कम लगती है। पेड़ पानी भी छोड़ते हैं, जिससे माइक्रो क्लाइमेट में 2-3 डिग्री का फर्क पड़ता है। जहां सड़कों के दोनों ओर पेड़ होते हैं, वहां भी तपन कम होती है।
ट्री कवर पर काम करने वाले डॉ. सुदेश बाघमारे ने बताया कि राजधानी में सबसे अच्छी 0.5 डेंसिटी 74 बंगला, बिड़ला मंदिर की पहाड़ी पर है। एकांत पार्क, बोरवन पार्क (बैरागढ़) में 0.4 डेंसिटी मिलती है। जबकि बीएचईएल क्षेत्र में सामान्य तौर पर 0.3 और कहीं-कहीं 0.4 डेंसिटी है। नार्थ टीटीनगर और साउथ टीटीनगर के कुछ हिस्से में पेड़ों की कटाई के बाद डेंसिटी 0.2 तक आ गई है, जबकि पुराने शहर में 0.1 डेंसिटी है, जो सबसे खराब स्थिति है। उन्होंने बताया कि 0.5 डेंसिटी उम्दा मानी जाती है।
 
 
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Kolar News 17 May 2016

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