कहां गए बाघ कुछ पता नहीं
कोलार ,केरवा ,कलियासोत क्षेत्र में बीते तीन माह से सक्रिय बाघ और बाघिन का फिलहाल कोई अतापता नहीं है। वन अधिकारियों का कहना है कि बीते दिनों हुई सर्चिंग से बाघ-बाघिन घने जंगल में चले गए हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि यह बाघ-बाघिन भोपाल सर्किल में हैं या नहीं इसकी सुध भी नहीं ली गई। उधर वन्य प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ अपनी टेरेटरी एक बार बना लेता है, तो वह उसी के इर्द-गिर्द रहता है। ऐसे में बाघ की सर्चिंग और उसकी निगरानी नहीं होना सवाल खड़े कर रहा है। केरवा-कलियासोत क्षेत्र में सक्रिय रहे दो नर बाघ और एक बाघिन को शहरी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन विभाग ने इनकी शिफ्टिंग का प्लान बनाया था। पहले तय किया गया था कि बाघ-बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर उसे कॉलर आईडी पहनाया जाएगा, लेकिन बाद में अभियान यह कहकर बंद कर दिया कि बाघ-बाघिन सघन जंगलों में चले गए हैं। सर्च अभियान चलाने के बाद से वन अधिकारियों ने हाथियों से हांका लगाने के साथ ही डॉक्टरों की टीम ने भी इसकी सर्चिंग की थी। उधर हांका लगाने के लिए कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से लाए गए हाथियों को भी पार्क के लिए रवाना कर दिया गया है। बताया जाता है कि पहले विभाग की योजना 27 नवंबर से दोबारा सर्च अभियान चलाने की थी। इसको देखते हुए हाथियों को भोपाल में ही रखा गया था, लेकिन विभाग ने बाद में चारों हाथियों को वापस भेज दिया।