कोलार जलसत्याग्रह-जनता की आवाज
पंकज चतुर्वेदी ऐसा लगता है की अब देश में गाँधी बाबा के दिन फिर लौट आये है | मुन्नाभाई फिल्म ने देश और देशवासियों को गाँधी वाद का स्मरण कराया था| विगत दिनों दिल्ली के जंतर मंतर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जैसी आवाज आम जनता ने उठाई वो प्रशंसनीय है और संभवता उसका असर कोलार की जल संकट से जूझती आम जनता पर भी पड़ा |क्षेत्र के कुछ नौजवानों ने मिलकर कोलार जल सत्याग्रह का संकल्प लिया और इस अराजनीतिक मंच को कोलार की आम जनता ने भी अपनी आवाज और समर्थन दे दिया है |कोलार पर अब लगभग डेढ़ लाख की आबादी है जो अगले दो सालों में लगभग दो लाख हो जाने की सम्भावना है ,जिस तरह से कोलार क्षेत्र में नए आवासीय प्रोजेक्ट प्रस्तावित है यह आंकड़ा बहुत आसानी से दो लाख तक पहुँच जायेगा | लेकिन तब भी पानी की मारामारी बनी रहेगी क्योकि इस गहराते जल संकट का कोई स्थाई विकल्प नहीं है | कोलार के अधिकांश क्षेत्र डार्क झोन का हिस्सा हो चुके यानि जहाँ जल स्तर दो सौ फिट से निचे हो गया हो कोलार के पास अपना कोई जल स्तोत्र नहीं है ,कोलार डेम,केरवां डेम और भदभदा सब भोपाल नगरनिगम के है |कोलार से गुजरने वाली कलियासोत नदी कोलार में है मृतप्राय है ,यदपि पिछली भा.जा .पा. सरकार में इस को पुनर्जीवित करने के प्रयास हुए थे पर वे धरातल पर साकार रूप नहीं ले सके | कोलार का शहरीकरण बहुत तेजी से एवं अयोजना गत तरीके से हुआ तो लोग ज्यादा और पानी कम तो पहले से ही है ऐसे में सरकारों से आस लाए बैठी आम जनता अब सत्याग्रह के लिए मजबूर है | जनता भी थोड़ी लापरवाह है जो वर्षा जल को संचित नहीं करते और जल अनुशासन भी नहीं अपनाते |भोपाल को यदि नर्मदा जल दिया जा सकता है तो कोलार के साथ सौतेला व्यवहार क्यों ? कोलार का जल जिस रास्ते से जाता है वहाँ के लोग ही प्यासे हो इस से बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है |यह सब ठीक वैसा ही है कि भूख लगने पर बच्चा रोता है वैसे ही कोलार वासी प्यास लगने पर सत्याग्रह कर रहें है | देखे सरकार कब चेतती है |