पर्यावरण मंजूरी नहीं … तो नहीं बसेगी कॉलोनी
कोलार पर गड़बड़ करने वाले बिल्डर सावधान हो जाएँ ,हरे भरे पर्यावरण के बीच घर बनाने का सपना दिखाने वाले बिल्डर अब मध्यप्रदेश में 50 हेक्टेयर या 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा के भूखंड पर अब बिना पर्यावरण मंजूरी कॉलोनी नहीं बना पाएंगे। अब तक बिल्डर सिर्फ टीएनसीपी की मंजूरी से कॉलोनी बना लेते थे, पर अब उन्हें राज्य पर्यावरण प्रभाव अध्ययन प्राधिकराण (सिया) से अनुमति जरूरी होगी। इसके लिए शहरी विकास एवं पर्यावरण विभाग ने सभी कलेक्टरों व नगरीय निकाय प्रमुखों को आदेश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय अधिनियम में इस नए नियम का प्रावधान पहले से ही है। प्रदेश में ये अब लागू किया जा रहा है। जो बिल्डर ऎसे प्रोजेक्ट्स पर सिया से पर्यावरण मंजूरी नहीं लेंगे, उनकी टीएनसीपी की भूमि विकास अनुज्ञा भी निरस्त हो जाएगी। इस अनुमति के बाद ही टीएनसीपी में आवेदन दिया जा सकेगा। शहरी विकास एवं आवास विभाग प्रमुख सचिव एसएन मिश्रा का कहना है कि पर्यावरणीय अनुमति अनिवार्य कर दी गई है।आकलन यूं होगा- पर्यावरण मंजूरी देने के पहले सिया संबंधित भूखंड का आकलन करेगा।- इसकी तकनीकी व प्रशासनिक टीमें भौगोलिक व पर्यावरणीय स्तर पर जांच करेंगी।- भूखंड पर यदि आवास बने, तो उसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा, ये जांचा जाएगा।विपिन गोयल, अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल का कहना है नए नियम से कॉलोनी की मंजूरी में ज्यादा समय लगेगा। उस पर जो आर्थिक बोझ बढ़ता है वो तो जनता पर ही आना है।मंजूरी के लिए बिल्डर सिया को भी शुल्क देंगे। इससे मकान महंगे हो सकते हैं। 1,500 वर्ग फीट का दो मंजिला मकान अभी करीब 50 लाख का पड़ता है। नए नियम से इसमें पांच लाख रूपए और बढ़ने की संभावना है। प्रदेश में बेतरतीब विकास से पर्यावरण खत्म हो रहा है। छोटे-बड़े नाले पाट दिए जाते हैं। नए नियम से सिया कॉलोनियों की जांच कर पाएगा।