साहित्यकार तैलंग की देह दान
‘मेरी मौत जब भी हो, मेरी देह को दान कर देना’। साहित्यकार हरिकृष्ण तैलंग ने अपने परिजन को तीन साल पहले यह संकल्प दिलाया था। रविवार को उनकी हार्टअटैक से मौत हो गई। वे 82 वर्ष के थे। इसके बाद परिजन से उनके शव को जेके हॉस्पिटल एंड मेडिकल सेंटर को दान कर दिया। रात 11 बजे उनके अंतिम दर्शन का कार्यक्रम रखा गया है। हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार हरिकृष्ण तैलंग के बेटे अभिनव तैलंग ने बताया कि उनके पापा को हिन्दी से बहुत लगाव था और उनकी मौत भी हिन्दी दिवस के दिन हुई। उन्होंने बताया कि वे करीब 2 माह से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें रविवार को अचानक हार्टअटैक आया। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले गए, जहां करीब 2 बजे उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी देह अस्पताल को सौंप दी गई। वे मूलत: सागर जिले राजबिल्हरा के रहने वाले थे।स्व. हरिकृष्ण तैलंग को हिन्दी से बहुत लगाव था। वे अब तक 22 पुस्तकें लिख चुके हैं। हिन्दी के क्षेत्र में उनको मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार के कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।