साईंहिल्स से लेकर दानिशकुंज तक जहरीली हुई कलियासोत
एनजीटी के आदेश के पांच माह बाद भी प्रशासन कलियासोत नदी में कॉलोनियों का अनट्रीटेड सीवेज मिलना नहीं रोक पाया। एनजीटी ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लान (सीटीपी) बनाने के निर्देश दिए थे, ताकि शोधित जल ही नदी में छोड़ा जाए, लेकिन अब तक इसकी डीपीआर तक नहीं बनी। कलियासोत के किनारों से अतिक्रमण कब तक हटेगा यह तो तय नहीं है, पर सीवेज रोकने की कार्रवाई तो तुरंत की जानी चाहिए।नदी के पानी को साईं हिल्स से लेकर सर्वधर्म ए, बी सेक्टर से आगे दानिशकुंज तक विषैला किया जा रहा है। इससे पानी का रंग काला पड़ गया है। जहरीले पानी के कारण यहां जलीय जीवों व वनस्पतियों का जीवित रहना भी संभव नहीं है। जरनल ऑफ एनवायरनमेंटल रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा किए गए नदी के पानी की जांच में पाया गया कि पीएच, बीओडी, सीओडी और डीओ जैसे पानी की शुद्घता के लिए जरूरी पैरामीटर तय मात्रा से बहुत अधिक हैं।दर्जन भर ज्यादा कॉलोनियों से गंदी हो रही नदीशाहपुरा लेक, नेशनल इंस्टीटूयट ऑफ फेशन, ईश्वर नगर झुग्गी, श्री कृष्णा कॉलोनी, फॉरच्यून कॉलोनी, अमरनाथ कॉलोनी, सांईनाथ कॉलोनी, पैलेस ऑर्चड, दामखेडी झुग्गी, सर्वधर्म ए व बी सेक्टर, सर्वधर्म सी सेक्टर स्थित भूमिका, शिर्डीपुरम, सागर प्रीमियम प्लाजा, आम्रा पैलेस, सिग्नेचर कॉलोनी एवं रायल कॉलोनी, भूमिका रेसीडेंसी, दानिश कुंज, ब्रिज के पास स्थित झुग्गी, सलैया, सनखेड़ी, बिलकहरी, गुराडी और पिपलिया द्वारा निकला अनट्रीटेड सीवेज मिलता है।इस मसले पर एक्सपर्ट कंसल्टिंग सिविल इंजीनियर योगेश श्रीवास्तव कहते हैं सीवेज का इंटर कनेक्टिविटी नेटवर्क बने ,कॉलोनियों को बेतरतीब तरीके से परमिशन तो दी गई लेकिन टीएंडसीपी ने सीवेज का इंटर कनेक्टिविटी को लेकर पॉलसी नहीं बनाई। यही वजह है कि बसाहट होने के बाद सीवेज समस्या बड़ा रूप ले चुकी है। इसके समाधान के लिए भौगोलिक परीक्षण के हिसाब से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनना चाहिए। हर कॉलोनी को सीवेज की लाइन से जोड़कर इस प्लांट तक पहुंचाएं तभी इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। नई कॉलोनियों को परमिशन देने से पहले सीवेज की पॉलसी सुनिश्चित कराना चाहिए।