कलियासोत नदी :33 मीटर वालों की नींद उड़ी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जारी निर्देश के बाद प्रशासन द्वारा कलियासोत नदी के सीमांकन का काम दोबारा शुरू किया गया है। नदी के 33 मीटर के दायरे में आ रहे निर्माणों में रहने वाले रहवासी और इमारत मालिकों की रातों की नींद और दिन का चैन छींन लिया है। जानकारी के मुताबिक नपती के दायरे में नदी के किनारे बने मकान व बहुमंजिला इमारतों के आने की आशंका बनी हुई है। गौरतलब है कि नदी के किनारे सैंकड़ों की संख्या में छोटे बडे निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी। कलियासोत नदी के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाने को लेकर पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडे की ओर से दायर याचिका पर 25 मई को सुनवाई करते हुए आगामी आदेश तक कलियासोत के किनारे निर्माण कार्य पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। पर्यावरणविद् डॉ. पांडे ने एनजीटी के समक्ष 25 मई को शासन की ओर से नदी की नपती को लेकर प्रस्तुत रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे।डॉ. पांडे ने एनजीटी के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत कर बताया था कि एनजीटी ने 20 अगस्त 2014 को पारित आदेश में नदी किनारे किए गए अवैध निर्माणों को हटाने के आदेश जारी किए थे, लेकिन प्रतिवादी ने नदी के रास्ता बदल लिए जाने आदि भ्रामक तथ्य प्रस्तुत कर मामले में दोबारा सुनवाई कर नदी के सीमांकन के आदेश जारी कराए जो कि न्याय सिद्धातों के विपरीत है। उन्होंने बताया कि प्रतिवादी ने इसके लिए भू- राजस्व रिकॉर्ड और सर्वे आॅफ इंडिया की टोपो का उपयोग नहीं किया है। पांडे ने सर्वे आॅफ इंडिया की वर्ष 1970 व 2005 की टोपो सीट की प्रति प्रस्तुत की। उन्होंने एनजीटी से निवेदन किया कि प्रतिवादी द्वारा एनजीटी के समक्ष नदी के बारे में गलत तथ्य व जानकारी प्रस्तुत की, जिसके आधार पर बैंच ने नदी के सीमांकन कराने का आदेश 30 मार्च 2015 को जारी किया अत उक्त आदेश को निरस्त किया जाकर पूर्व में पारित आदेश दिनांक 20 अगस्त 2014 को अस्तिव में लाया जाए।