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बाघ को रोकने जाली लगाने से ठेकेदार ने खड़े किए हाथ
बाघ को रोकने जाली लगाने से ठेकेदार ने खड़े किए हाथ
केरवा- कलियासोत और कोलार क्षेत्र में बाघ और अन्य वन्य जीवों की आमद को देखते हुए वन विभाग यहां 30 लाख रुपए की लागत से जाली लगा रहा था, ताकि वन्य जीव शहर क्षेत्र की तरफ प्रवेश नहीं कर सकें, लेकिन जाली लगाने बजट स्वीकृत नहीं होने के कारण ठेकेदार को किए गए काम का भुगतान नहीं हुआ। लिहाजा ठेकेदार ने जाली लगाने का काम करने से हाथ खड़े कर दिए। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बाघ की सक्रियता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने यहां आनन-फानन में जाली लगाने के आदेश जारी कर दिए। इसके बाद ठेकेदार ने इसका काम शुरू कर दिया था, लेकिन अब अधिकारियों ने इस योजना के लिए बजट स्वीकृत नहीं होने का बहाना बनाकर जाली लगाने का काम रोक दिया है। गौरतलब हैं कि करीब दो माह पहले केरवा- कलियासोत डैम के आसपास बाघ टी-1 के खतरे से बचने के लिए वन विभाग ने नई जाली लगाने का काम शुरू किया था। पुरानी जाली क्षतिग्रस्त हो जाने से बाघ उसमें से निकलकर सड़क तक पहुंच रहा था। यह जाली केरवा डैम से बुलमदर फार्म तक लगाई जा रही है। उसकी ऊंचाई करीब 12 फीट है, ताकि बाघ उसे लांघ कर सड़क पर न आ सके।जनवरी से फिर सक्रिय होगा : वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक, बाघ अपनी टेरेटरी बनाने के बाद उसी में रहता है। वर्तमान में बाघ- बाघिन का मेटिंग पीरियड होने के कारण वे घने जंगलों में चले गए हैं। जनवरी में फिर बाघ यहां सक्रिय हो जाएगा। ऐसे में जाली का काम समय पर पूरा नहीं होने से इस क्षेत्र में सक्रिय बाघ दोबारा रहवासी क्षेत्र के करीब पहुंचेंगे। वन विभाग को समय रहते जाली लगाने का काम पूरा करना चाहिए, ताकि वन्य जीव शहरी क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर पाएं।शहर में इन दिनों बंदरों ने धमाचौकड़ी मचा रखी है। क्षेत्रों में बंदरों के कारण रहवासी परेशान हो रहे हैं। घरों के सामान को नुकसान पहुंचाने के साथ ही गाड़ियों पर मच रही उछल कूद से परेशान लोगों ने वन विभाग से इसकी शिकायत की। शिकायत मिलने पर वन विभाग ने दो टीमें बनाकर एक लालघाटी और दूसरी सोनागिरी भिजवाई। बंदर को केले का लालच देकर पकड़ने की कोशिश वन अधिकारियों की नाकाम साबित हुई। सोनागिरी में करीब आधा दर्जन केले बंदर को झांसा देने के लिए रखे थे। बंदर पेड़ से उतरा और केले लेकर भाग गया। एक घंटे बाद वन कर्मचारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा। लालघाटी के विजय नगर में भी बंदर पकड़ने गई टीम खाली हाथ लौट गई।
Other Source 2016/05/08

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