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ठेकेदार ,नेता और इंजीनियरों का कॉकस कर रहा है कोलार का बेड़ागर्क
ठेकेदार ,नेता और इंजीनियरों का कॉकस कर रहा है कोलार का बेड़ागर्क
कोलार में इस समय करोड़ों रुपए के विकास कार्य हो रहे हैं। सड़कें बन रही हैं, सीवेज लाइन बिछ रही हैं, स्ट्रीट लाइट लग रही हैं। कुल मिलाकर कई विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन यह सब चुनिंदा ठेकेदारों के माध्यम से हो रहा है। यहां के पार्षदों, नेताओं, इंजीनियरों और ठेकेदारों के कोकस ने विकास कार्यों पर शिंकजा कस लिया है। स्थिति यह है कि कोलार का विकास नगर निगम नहीं चंद ठेकेदारों के जिम्मे है। मिलीभगत इतनी है कि कोई कुछ बोल नहीं रहा है। हर काम पर परफेक्ट होने का ठप्पा लग रहा है।कोलार में ठेकेदारों की तूती बोल रही है। वह इस समय अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। दरअसल इन ठेकेदारों को इंजीनियरों और पार्षदों का करीबी माना जाता है। इसलिए यह काम से ज्यादा इंजीनियरों के केबिन में बैठे दिखाई देते हैं। बताया जा रहा है कि क्षेत्र के विकास का जिम्मा करीब एक दर्जन ठेकेदारों के कंधे पर है, करोड़ों रुपए के विकास कार्य इनके जिम्मे हैं, लेकिन बड़े काम तीन ठेकेदारों को मिलते हैं।करोड़ों के विकास कार्य : जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा विकास कार्य क्षेत्र में चल रहे हैं,जिनकी लागत करोड़ों रुपए में है। ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से चल रहे विकास कार्य सड़क, नाली, पानी, सीवेज जैसे महत्वपूर्ण कार्य इंजीनियर की मदद से ठेकेदार हड़प लेते हैं।मंदाकिनी कॉलोनी से जेके अस्पताल तक सड़क निर्माण होना था, इसका टेंडर ठेकेदार दीपक दयाल माथुर को मिला था। ठेकेदार ने यह सड़क अधूरी बनाकर बीच में छोड़ दी है। बताया जा रहा है कि उक्त सड़क का निर्माण करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। सड़क के सेंट्रल वर्ज में लेंप लगाया जाना था, जो नहीं लगाए गए। वहीं ठेकेदार ने अपने निवास तक सड़क बनाकर एक छोटा सा टुकड़ा ऐसे ही छोड़ दिया। इनके निगम में करीब 8 से 9 करोड़ के निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनकी गुणवत्ता की कभी जांच नहीं होती। पानी सप्लाई में भी एक घोटाला सामने आया था। सूत्रों के अनुसार महापौर इस मामले की जांच कराने जा रहे हैं। यह केवल एक उदाहरण है और अन्य ठेकेदारों की भी यही स्थिति है।क्षेत्र में इंजीनियरों के चहेते ठेकेदार किसी से रूतबे में कम नहीं हैं। कोलार में दीपक दयाल माथुर, सुनील पांडेय, देवानंद बघेल, बीडी चौरसिया समेत करीब एक दर्जन ठेकेदार इंजीनियरों के चहेते बने हुए हैं।इंजीनियर बीएस त्रिपाठी, महेश सिरोईया, प्रदीप बिलगैंया के कंधे पर पूरे क्षेत्र के विकास कार्य की जिम्मेदारी है। इनमें से एक इंजीनियर की एक ठेकेदार से पार्टनरशिप है।गुणवत्ता की कमी, फिर भी चहेते क्षेत्र में कई विकास कार्यों की पोल गुणवत्ता की कमी के चलते खुल चुकी है। सी सेक्टर में बनी सड़क कुछ दिन में उखड़ गई, ऐसी कई सड़कें हैं जो घटिया निर्माण सामग्री की भेंट चढ़ गर्इं। इसके बाद भी इंजीनियर इन ठेकेदारों पर मेहरबान हैं।
Other Source 2016/05/08

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