न चूना न भट्टी लेकिन नाम रहेगा चूनाभट्टी
भोपाल अटपटे नामों के लिए खास चर्चित है कोलार रोड पर ऐसा ही एक नाम है चूना भट्टी। इसकी पीछे भी एक कहानी है। यहां कभी चूने की खानें हुआ करती थीं इसलिए, इस क्षेत्र का नाम चूना भट्टी रखा गया था। अब यहां इतनी बसाहट है कि यह खानें दूर-दूर तक नजर नहीं आतीं।चूने की खानों के कारण यहां का जलस्तर तो कम है ही पानी में भी चूने का प्रभाव दिखाई पड़ता है। आज भी यह चूने की खानों के लिए ही जाना जाता है। इसी कारण इसका नाम चूना भट्टी पड़ गया, लेकिन कहते हैं कि समय के साथ हर चीज में बदलाव आता है। एक जमाने में यहाँ चूना खदान और उसके भट्टों में काम करने वाले लोग रहते थे। फिर यह चूना भट्टी गांव में तब्दील हुआ और 1987 के बाद इस इलाके में लोगों ने किसानों से जमीन खरीद कर कुछ फार्म हाउस बनाये। कुछ घर बने और 2000 के बाद इस इलाके की दशा ही बदल गई और यह भोपाल की सबसे हॉट रिहायशी बस्ती में तब्दील हो गया। आज इस क्षेत्र में कई कवर्ड कॉलोनियां और छोटे-छोटे मार्केट विकसित हो गए हैं। शहर के मध्य में स्थित चूना भट्टी के इर्द-गिर्द सभी सुविधाएं मौजूद हैं। आधी रात को भी यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे भटकना नहीं पड़ता है। कुछ की दूरी पर जयप्रकाश (जेपी) एवं रेडक्रॉस अस्पताल मौजूद है। वहीं, अक्षय हार्ट ,मानोरिया और बंसल अस्पताल हैं।इसके एक ओर पहाड़ी तो दूरी ओर शाहपुरा झील। झील और पहाड़ी से घिरे इस क्षेत्र का तेजी से विस्तार हो रहा है। हजारों की तादात स्वतंत्र बंगले हैं तो सैकड़ों बहुमंजिला इमारतें भी हैं। कई प्रतिष्ठित लोग भी यहां निवास करते हैं। शहर की सबसे बड़ी बौद्ध प्रतिमा गोल्डन बुद्धा भी चूना भट्टी में ही स्थित है, जो क्षेत्र की नई पहचान बन गई है।