कॉलोनियों में अवैध हॉस्टल की भरमार
नगर निगम के पास कोई लेखा-जोखा नहींकोलार में कॉलोनियों के अंदर दर्जनों हॉस्टल संचालित किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि इनकी संख्या का निगम के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है। यदि कॉलोनियों में ऐसे भवनों की जांच करवाई जाए तो हजारों की संख्या में अवैध हॉस्टल के संचालन का बड़ा खुलासा होगा। इन अवैध हॉस्टलों की वजह से आम नागरिकों की परेशानी बढ़ गई है। छात्रों की धमाचौकड़ी के कारण आसपास रहने वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।इनके बारे में शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जिससे क्षेत्र की जनता खासी परेशान है। इधर नगर निगम के अपर आयुक्त का कहना है कि जल्द ही एक सर्वे कराया जाएगा जहां अवैध हॉस्टल का संचालन पाया गया उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।ताज्जुब तो यह है कि पूर्व में कई हादसे हो चुके हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने इन हॉस्टल की कोई खोज खबर नहीं ली। इतना ही नहीं अग्निशमन विभाग की ओर से संभावित खतरे से कई बार आगाह करने के बाद भी जिला प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।कोलार में करीब 60 से 70 हॉस्टल अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं। इनके पास न तो कोई एनओसी है और न ही मानकों के अनुसार इनकी बनावट। विनियमित क्षेत्र से इनका मानचित्र भी पास नहीं है। अब ऐसे में इनका संचालन कैसे किया जा रहा है यह एक गंभीर सवाल है। अवैध रूप से चल रहे हॉस्टलों में खतरे से निपटने का भी नहीं है कोई इंतजाम।उपनगर में कॉलोनियों के अंदर रसूखदारों ने बड़ी-बड़ी इमारतें बना रखी है। जिनके कमरों को किराया पर चलाया जा रहा है। खास बात यह है कि हॉस्टल संचालक के लिए निर्धारित मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए संचालित किए जा रहे हैं। इनमें न तो आग से बचाव के कोई संसाधन हैं और न ही किसी आकस्मिक खतरे से भागने के कोई उपाय हैं।कॉलोनियों में अंदर अवैध रूप से संचालित हो रहे अवैध हॉस्टल आम जनता के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। देर रात तक इन हॉस्टलों में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। दूसरों की परवाह किए बगैर यह साउंड सिस्टम तेज बजाते हैं।छात्रावासों में शोर-शराबा और लड़ाई झगडे की आवाज रोज की बात हो गई है। लोगों की मांग है कि इन अवैध हॉस्टल संचालकों पर नकेल कसी जाए। ताकि इनको अपने फायदे के अलावा दूसरों की परेशानी भी नजर आ सके।